मध्य प्रदेश के रतलाम के रियावन लहसुन को जीआई टैग प्राप्त हुआ | 07 Mar 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में रतलाम ज़िले की जावरा तहसील के रियावन गाँव के स्वादिष्ट लहसुन को भौगोलिक संकेत (GI) टैग से सम्मानित किया गया है।
मुख्य बिंदु:
- रियावन लहसुन के लिये जीआई पंजीकरण प्रक्रिया जनवरी 2022 में चेन्नई में किसान उत्पादक संगठन (FPO) रियावान फार्म फ्रेश प्रोड्यूसर कंपनी द्वारा शुरू की गई थी।
- रियावान लहसुन अपनी अनूठी गुणवत्ता और उच्च उपज के लिये प्रसिद्ध है, जिसके प्रत्येक बल्ब में पाँच से छह कलियाँ होती हैं। अपने तीखे स्वाद के लिये जानी जाने वाली लहसुन की इस किस्म में अन्य की तुलना में तेल की मात्रा भी अधिक होती है।
- GI टैग अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में नए अवसर खोलता है, जो रतलाम के लहसुन को ज़िला उत्पाद के रूप में बढ़ावा देने के राज्य सरकार के प्रयासों का पूरक है।
- लहसुन की किस्म रियावान सिल्वर गार्लिक के नाम से देश में पहले से ही काफी मांग में है।
- पिपलौदा तहसील के रियावन गाँव में दो दशकों से पारंपरिक तरीकों से लहसुन की खेती की जा रही है.
- सफेद पर्दे, कली के आकार और औषधीय मूल्य जैसे अद्वितीय गुणों के कारण, रियावान ने बीज विकास के लिये अग्रणी गाँव के रूप में ख्याति अर्जित की है। इसकी उच्च भंडारण क्षमता दीर्घकालिक संरक्षण की अनुमति देती है।
भौगोलिक संकेतक (GI) टैग
- भौगोलिक संकेत (GI) टैग, एक ऐसा नाम या चिह्न है जिसका उपयोग उन विशेष उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या मूल से संबंधित होते हैं।
- GI टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ताओं या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति है।
- यह उत्पाद को दूसरों द्वारा नकल या अनुकरण किये जाने से भी बचाता है।
- एक पंजीकृत GI टैग 10 वर्षों के लिये वैध होता है।
- GI पंजीकरण की देखरेख वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय के अधीन उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा की जाती है।
- विधिक ढाँचा तथा दायित्व:
- वस्तुओं का भौगोलिक उपदर्शन (रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 भारत में वस्तुओं से संबंधित भौगोलिक संकेतकों के पंजीकरण तथा बेहतर संरक्षण प्रदान करने का प्रयास करता है।
- यह बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार-संबंधित पहलुओं (TRIPS) पर WTO समझौते द्वारा विनियमित एवं निर्देशित है।
- इसके अतिरिक्त बौद्धिक संपदा के अभिन्न घटकों के रूप में औद्योगिक संपत्ति और भौगोलिक संकेतों की सुरक्षा के महत्त्व को पेरिस कन्वेंशन के अनुच्छेद 1(2) एवं 10 में स्वीकार किया गया, साथ ही इस पर अधिक बल दिया गया है।