छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में सबसे कम बेरोज़गारी
- 03 Dec 2022
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चर्चा में क्यों?
2 दिसंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा बेरोज़गारी दर के संबंध में जारी रिपोर्ट के अनुसार नवंबर माह में सबसे कम बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में 0.1 फीसदी के साथ छत्तीसगढ़ शीर्ष पर है।
प्रमुख बिंदु
- सीएमआईई द्वारा 1 दिसंबर को जारी ताजा आँकड़ों के अनुसार नवंबर माह में छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी दर 1 फीसदी दर्ज की गई है, जबकि नवंबर माह में देश में बेरोज़गारी दर का यह आँकड़ा 8.2 फीसदी रहा है।
- छत्तीसगढ़ 1 प्रतिशत बेरोज़गारी की दर के साथ लगातार देश का न्यूनतम बेरोज़गारी दर वाला राज्य बना हुआ है।
- गौरतलब है कि सीएमआईई के मई-अगस्त 2018 में जारी किये गए आँकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी दर 22 प्रतिशत थी। राज्य शासन की योजनाओं से इसमें उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। बेरेाज़गारी की दर छत्तीसगढ़ में माह दिसंबर 2022 में घटकर 0.1 प्रतिशत रह गई है।
- सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा जारी ताजा आँकड़ों से यह साबित हुआ है कि छत्तीसगढ़ राज्य के 90 फीसद लोग किसी न किसी रोज़गार से जुड़कर आजीविका हासिल कर रहे हैं।
- नवंबर माह में देश के शहरी क्षेत्रों में 0 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गारी का आँकड़ा 7.8 फीसद रहा है।
- न्यूनतम बेरोज़गारी दर के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य को मिली इस उपलब्धि के पीछे वजह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में रोज़गार के नए अवसरों के सृजन के लिये बनाई गई योजना और नीतियाँ रही हैं। छत्तीसगढ़ में बीते पौने चार साल के भीतर अनेक ऐसे नवाचार हुए हैं, जिनसे शहर से लेकर गाँव तक हर हाथ को काम मिला है।
- सीएमआईई द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर 2022 में सबसे कम बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में 1 फीसदी के साथ छत्तीसगढ़ शीर्ष पर है। वहीं इसी अवधि में 1.2 फीसदी के साथ उत्तराखंड दूसरे स्थान पर है। ओड़िसा 1.6 फीसदी बेरोज़गारी दर के साथ तीसरे स्थान पर है। मध्य प्रदेश में यह आँकड़ा 6.2 प्रतिशत है और गुजरात में 2.5 प्रतिशत रहा है।
- दूसरी ओर नवंबर 2022 में सर्वाधिक बेरोज़गारी दर के मामले में हरियाणा शीर्ष पर है, जहाँ 6 फीसदी बेरोज़गारी दर दर्ज की गई है। जम्मू एवं कश्मीर में बेरोज़गारी दर 23.9 फीसदी दर्ज की गई।
- छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने समावेशी विकास के लक्ष्य के साथ काम करना शुरू किया। महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना के साथ गाँवों की आर्थिक सुदृढ़ीकरण की दिशा में नवाचार किये गए। इसमें ‘सुराजी गाँव योजना’के अंतर्गत ‘नरवा-गरूवा-घुरवा-बाड़ी’कार्यक्रम ने महती भूमिका निभाई तो दूसरी ओर ‘गोधन न्याय योजना’के साथ गौठानों को रुरल इंडस्ट्रियल पार्क के तौर पर विकसित किया गया, जिससे गोबर बेचने से लेकर गोबर के उत्पाद बनाकर ग्रामीणों को रोज़गार मिला। रोज़गार के नए अवसर सृजित हुए।
- 7 से बढ़ाकर 65 प्रकार के लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी और इन लघु वनोपजों का प्रसंस्करण व मूल्य-संवर्धन किया गया। इससे वनांचल में भी लोगों को रोज़गार मिला। इसी तरह स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों की बिक्री के लिये सी-मार्ट प्रारंभ किये गए हैं।
- ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’से किसानों की आर्थिक समृद्धि की दिशा में प्रयास हुए तो वहीं इस योजना से उत्साहित किसानों की दिलचस्पी कृषि की ओर बढ़ी। राज्य में खेती का रकबा और उत्पादन बढ़ा।
- ‘राजीव गांधी ग्रामीण कृषि भूमिहीन मज़दूर योजना’के तहत ‘पौनी-पसारी’व्यवस्था से जुड़े लोगों को आर्थिक सहायता मिली। राज्य में नई उद्योग नीति लागू की गई, जिसमें अनेक वर्गों और विभिन्न क्षेत्रों में सब्सिडी के प्रावधान किये गए। इससे उद्यमिता विकास को गति मिली।