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छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में सबसे कम बेरोज़गारी

  • 06 Oct 2022
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

4 अक्टूबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में सितंबर में बेरोज़गारी दर अब तक अपने न्यूनतम स्तर 1 प्रतिशत है। देश में सबसे कम बेरोजगारी दर के मामले में छत्तीसगढ़ शीर्ष पर है। 

प्रमुख बिंदु 

  • जनसंपर्क विभाग ने बताया कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा जारी ताजा आँकड़ों के अनुसार राज्य के 90 फीसद लोग किसी न किसी रोज़गार से जुड़कर आजीविका हासिल कर रहे हैं।
  • सीएमआईई द्वारा जारी ताजा आँकड़ों के अनुसार सितंबर माह में छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी दर 1 फीसदी दर्ज की गई है, जबकि सितंबर माह में देश में बेरोजगारी दर का यह आँकड़ा 6.43 फीसदी रहा है। देश के शहरी क्षेत्रों में 7.70 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में सितंबर माह में बेरोज़गारी का आँकड़ा 5.84 फीसद रहा।
  • सीएमआईई द्वारा 1 अक्टूबर, 2022 को बेरोज़गारी दर के संबंध में जारी रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2022 में सबसे कम बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में 1 फीसदी के साथ छत्तीसगढ़ शीर्ष पर है। वहीं इसी अवधि में 0.4 फीसदी के साथ असम दूसरे स्थान पर तथा उत्तराखंड 0.5 फीसदी बेरोज़गारी दर के साथ तीसरे स्थान पर है। मध्य प्रदेश में यह आँकड़ा 0.9 प्रतिशत और गुजरात में यह आँकड़ा 1.6 प्रतिशत रहा है।
  • दूसरी ओर सितंबर 2022 में सर्वाधिक बेरोज़गारी दर के मामले में राजस्थान शीर्ष पर है, जहाँ 8 फीसदी बेरोज़गारी दर दर्ज की गई है। जम्मू एवं कश्मीर में 23.2 फीसदी, हरियाणा में 22.9 फीसदी, त्रिपुरा में 17.0 फीसदी और झारखंड में 12.2 फीसदी बेरोज़गारी दर दर्ज की गई है।
  • न्यूनतम बेरोज़गारी दर के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य को मिली इस उपलब्धि के पीछे वजह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में रोज़गार के नए अवसरों के सृजन के लिये बनाई गई योजना और नीतियां रही हैं। छत्तीसगढ़ में बीते पौने चार साल के भीतर अनेक ऐसे नवाचार हुए हैं, जिनसे शहर से लेकर गाँव तक हर हाथ को काम मिला है।
  • छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने समावेशी विकास के लक्ष्य के साथ काम करना शुरू किया। महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना के साथ गाँवों की आर्थिक सुदृढ़ीकरण की दिशा में नवाचार किये गए। इसमें ‘सुराजी गाँव योजना’ के अंतर्गत ‘नरवा-गरूवा-घुरवा-बाड़ी’ कार्यक्रम ने महती भूमिका निभाई तो दूसरी ओर ‘गोधन न्याय योजना’ के साथ गौठानों को रुरल इंडस्ट्रियल पार्क के तौर पर विकसित किया गया, जिससे गोबर बेचने से लेकर गोबर के उत्पाद बनाकर ग्रामीणों को रोजगार मिला। रोज़गार के नए अवसर सृजित हुए।
  • 7 से बढ़ाकर 65 प्रकार के लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी और इन लघु वनोपजों के प्रसंस्करण व मूल्य संवर्धन किया गया। इससे वनांचल में भी लोगों को रोज़गार मिला।
  • ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ से किसानों की आर्थिक समृद्धि की दिशा में प्रयास हुए तो वहीं इस योजना के बाद उत्साहित किसानों की दिलचस्पी कृषि की ओर बढ़ी। राज्य में खेती का रकबा और उत्पादन बढ़ा।
  • ‘राजीव गांधी ग्रामीण कृषि भूमिहीन मजदूर योजना’ के तहत ‘पौनी-पसारी’ व्यवस्था से जुड़े लोगों को आर्थिक सहायता मिली। राज्य में नई उद्योग नीति लागू की गई, जिसमें अनेक वर्गों और विभिन्न क्षेत्रों में सब्सिडी के प्रावधान किए गए। इससे उद्यमिता विकास को गति मिली।
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