छत्तीसगढ़
ग्राम सोंड्रा में मिली पांडुवंशी काल की बुद्ध प्रतिमा
- 11 Mar 2023
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चर्चा में क्यों?
10 मार्च, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार रायपुर-बिलासपुर मार्ग में स्थित ग्राम सोंड्रा में गृह निर्माण के लिये किये जा रहे उत्खनन कार्य के दौरान पांडुवंशी काल की प्राचीन बुद्ध प्रतिमा सहित अन्य पुरातात्त्विक प्रतिमाएँ प्राप्त हुई हैं।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि ग्राम सोंड्रा में दिलेंद्र बंछोर द्वारा व्यक्तिगत आवास परिसर में गृह निर्माण हेतु किये जाने वाले उत्खनन कार्य के दौरान भूमि की सतह से लगभग 3 फीट की गहराई से बुद्ध की प्रतिमा प्राप्त हुई है।
- इस संबंध में जानकारी मिलते ही पुरातत्त्व विभाग की टीम (डॉ. पी.सी. पारख, डॉ. वृषोत्तम साहू तथा डॉ. राजीव मिंज) के द्वारा स्थल निरीक्षण किया गया।
- पुरातत्त्व एवं अभिलेखागार विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रायपुर से बिलासपुर मुख्य मार्ग में 16 किमी. की दूरी पर सांकरा से 2 किमी. पश्चिम दिशा में ग्राम सोंड्रा स्थित है। उक्त स्थल से खारुन नदी लगभग 3 किमी. पश्चिम दिशा पर स्थित है। प्रतिमा प्राप्ति स्थल ग्राम के सबसे ऊंचाई वाले भाग पर स्थित है और यहाँ प्राचीन टीला होने के साक्ष्य दिखाई देते हैं।
- अधिकारियों ने बताया कि स्थानीय बलुआ पत्थर में निर्मित इस प्रतिमा की चौड़ाई 74X ऊँचाई 87X मोटाई 40 सेंटीमीटर है।
- बुद्ध की इस विशाल प्रस्तर प्रतिमा के माथे पर ऊर्णा (तिलक चिह्न) का अंकन इसे अनोखा रूप प्रदान करती है और इस आधार पर इसके ध्यानी बुद्ध होने की संभावना अधिक प्रतीत होती है। बुद्ध की यह आवक्ष प्रतिमा अपूर्ण है, जिस पर छेनी के चिह्न साफ दिखाई दे रहे हैं।
- त्रि-स्तरीय निर्माण तकनीक में बनी बुद्ध प्रतिमा का यह ऊपरी भाग है। इस तकनीक का प्रयोग बलुआ पत्थर की विशाल प्रतिमाओं के निर्माण हेतु किया जाता था, जिसमें किसी प्रतिमा को तीन प्रस्तर खंडों में योजना के अनुरूप स्तरों में निर्मित कर लंबवत स्थापित किया जाता था। इस तकनीक की बनी बुद्ध प्रतिमा के उदाहरण छत्तीसगढ़ के सिरपुर व राजिम और बिहार के बोधगया में देखे जा सकते हैं।
- अधिकारियों ने बताया कि स्थल निरीक्षण करने पर यहाँ अन्य प्रतिमाओं के होने की भी जानकारी प्राप्त हुई है, जो कि निकट ही में स्थित मंदिर में तथा मंदिर के बगल में बने चबूतरे पर स्थापित हैं।
- प्रतिमाओं में भूमिस्पर्श मुद्रा में बुद्ध, उपासक, अज्ञात स्थानक प्रतिमा, योगिक ध्यानी मुद्रा में बुद्ध, ललितासन मुद्रा तारा, स्थानक बोधिसत्त्व के साथ ही 4 शिवलिंग, 4 खंडित पायदार सिलबट्टे, 1 प्रणाल युक्त प्रतिमा पीठ, कुछ खंडित प्रतिमाएँ व स्थापत्य खंड प्राप्त हुए हैं। उक्त स्थल का पुरावशेष पांडुवंशी काल का (6वीं से 9वीं शताब्दी ई.) प्रतीत हो रहा है।