लिक्विड मिरर टेलीस्कोप | 14 Dec 2021
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (AIRES) के वैज्ञानिक दीपांकर बनर्जी ने बताया कि जल्द ही उत्तराखंड में नैनीताल के पास देवस्थल में एशिया का सबसे बड़ा लिक्विड मिरर टेलीस्कोप, जिसे देवस्थली ऑप्टिकल टेलीस्कोप (DOT) के रूप में भी जाना जाता है, स्थापित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- दीपांकर बनर्जी ने बताया कि टेलिस्कोप पहले स्थापित किया जा सकता था, लेकिन राज्य में कोविड-19 महामारी के कारण इसमें देरी हुई। उन्होंने कहा कि टेलीस्कोप का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और इसे जल्द ही स्थापित कर उद्घाटन किया जाएगा।
- पारा के साथ लेपित एक तरल दर्पण दूरबीन सामान्य दूरबीन की तुलना में बहुत सस्ती है और यह केवल उन वस्तुओं को अंतरिक्ष में देख सकती है, जो इसके दृश्य में आती हैं, क्योंकि इसे अलग-अलग दिशाओं में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है।
- इसका उपयोग सितारों, अंतरिक्ष मलबे और उपग्रहों जैसे खगोलीय पिंडों का अध्ययन करने के लिये किया जाएगा, जो इसके फोकस से होकर गुज़रेंगे।
- वर्तमान में, एशिया में इस तरह के सबसे बड़े टेलीस्कोप का व्यास 3.6 मीटर है, जबकि यह टेलीस्कोप चार मीटर व्यास का होगा, जिससे यह स्थापना के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा टेलीस्कोप बन जाएगा।
- गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके बेल्जियम समकक्ष चार्ल्स मिशेल ने मार्च, 2016 में इस दूरबीन को लॉन्च किया था। इसे कनाडा और बेल्जियम के संयुक्त सहयोग से 10 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है।