आकाशीय तड़ित के कारण लोगों की मौत | 25 Sep 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के राजनांदगाँव में भारी वर्षा के दौरान हुई विनाशकारी आकाशीय तड़ित से बच्चों सहित कई लोगों की जान चली गई।
मुख्य बिंदु
- भारत में आकाशीय तड़ित:
- आकाशीय तड़ित एक शक्तिशाली और दृश्यमान विद्युत घटना है जो तब होती है जब बादलों के भीतर तथा बादलों और ज़मीन के बीच विद्युत आवेश का निर्माण होता है।
- इस विद्युत ऊर्जा के निर्वहन के परिणामस्वरूप प्रकाश की एक चमकदार चमक उत्पन्न होती है और हवा का तेज़ी से विस्तार होता है, जिससे बिजली के साथ होने वाली विशिष्ट गड़गड़ाहट उत्पन्न होती है।
- क्लाउड-टू-ग्राउंड (CG) बिजली खतरनाक होती है, क्योंकि इसमें उच्च विद्युत वोल्टेज और करंट के कारण लोगों को बिजली का झटका लग सकता है।
- भारत विश्व के उन पाँच देशों में शामिल है जहाँ आकाशीय तड़ित की पूर्व चेतावनी प्रणाली मौजूद है।
- यह प्रणाली आकाशीय तड़ित से पाँच दिन पहले से लेकर तीन घंटे पहले तक का पूर्वानुमान उपलब्ध कराती है।
- आकाशीय तड़ित एक शक्तिशाली और दृश्यमान विद्युत घटना है जो तब होती है जब बादलों के भीतर तथा बादलों और ज़मीन के बीच विद्युत आवेश का निर्माण होता है।
- आकाशीय तड़ित से होने वाली मौतें: आँकड़े और रुझान
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) डेटा: वर्ष 2021 में, आकाशीय तड़ित से 2,880 मौतें हुईं, जो "प्राकृतिक बलों" के कारण हुई सभी आकस्मिक मौतों का 40% है।
- यह प्रवृत्ति अन्य प्राकृतिक घटनाओं की तुलना में आकाशीय तड़ित से होने वाली मौतों में वृद्धि दर्शाती है।
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) डेटा: वर्ष 2021 में, आकाशीय तड़ित से 2,880 मौतें हुईं, जो "प्राकृतिक बलों" के कारण हुई सभी आकस्मिक मौतों का 40% है।
- भारत में भौगोलिक वितरण:
- पूर्वोत्तर राज्यों तथा पश्चिम बंगाल, सिक्किम, झारखंड, ओडिशा और बिहार में आकाशीय तड़ित की आवृत्ति सबसे अधिक है ।
- हालाँकि, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे मध्य भारतीय राज्यों में आकाशीय तड़ित से होने वाली मौतों की संख्या अधिक है ।
- बिहार आकाशीय तड़ित के मामले में सबसे अधिक संवेदनशील राज्यों में से एक है, जहाँ प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में मौतें होती हैं।
- वर्ष 2023 में 6 जुलाई तक बिहार में आकाशीय तड़ित से 107 मौतें दर्ज की गईं।
- पूर्वोत्तर राज्यों तथा पश्चिम बंगाल, सिक्किम, झारखंड, ओडिशा और बिहार में आकाशीय तड़ित की आवृत्ति सबसे अधिक है ।
- आकाशीय तड़ित के संबंध में केंद्र सरकार का दृष्टिकोण:
- केंद्र सरकार आकाशीय तड़ित को प्राकृतिक आपदा घोषित करने का विरोध करती है। सरकार का मानना है कि शिक्षा और जागरूकता से आकाशीय तड़ित से होने वाली मौतों को प्रभावी ढंग से रोकने में सहायता मिल सकती है।
आकाशीय तड़ित की बढ़ती प्रवृत्ति के पीछे संभावित कारक
- जलवायु परिवर्तन: ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन वायुमंडलीय स्थितियों को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे तूफान और आकाशीय तड़ित की गतिविधियों में वृद्धि हो सकती है।
- जैसे-जैसे ग्रह का तापमान बढ़ता है, नमी के वितरण, अस्थिरता और संवहनीय प्रक्रियाओं में परिवर्तन हो सकता है, जिससे आकाशीय तड़ित की घटनाएँ अधिक बार हो सकती हैं।
- कालबैसाखी एक स्थानीय तूफान है, जो बिजली चमकने के साथ आता है, जो आमतौर पर भारतीय उपमहाद्वीप में प्री-मानसून सीजन के दौरान देखा जाता है।
- शहरीकरण: शहरी क्षेत्रों के विस्तार से "शहरी ताप द्वीप प्रभाव" उत्पन्न हो सकता है।
- बढ़ती मानवीय गतिविधियों, ऊर्जा खपत और अभेद्य सतहों के कारण शहर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक गर्म होते हैं।
- इन स्थानीयकृत ऊष्मा द्वीपों के कारण अधिक तूफानों का निर्माण हो सकता है, तथा परिणामस्वरूप, आकाशीय तड़ित की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है।
- भूमि उपयोग में परिवर्तन: वनों की कटाई, कृषि पद्धतियों में परिवर्तन और प्राकृतिक परिदृश्य में परिवर्तन स्थानीय वायुमंडलीय स्थितियों को बाधित कर सकते हैं।
- ऐसे परिवर्तन तूफानों के विकास में योगदान दे सकते हैं, तथा परिणामस्वरूप अधिक आकाशीय तड़ित की संभावना हो सकती है।
- प्रदूषण और एरोसोल: एरोसोल और कण पदार्थ सहित वायु प्रदूषण, तूफानों के दौरान बादल निर्माण और विद्युत गतिविधि को प्रभावित कर सकता है।
- मानवजनित उत्सर्जन से तूफानों की आवृत्ति और तीव्रता प्रभावित हो सकती है, जिससे आकाशीय तड़ित की घटनाएँ बढ़ सकती हैं।