प्राथमिक विद्यालय के छात्रों के लिये आदिवासी भाषाओं में पाठ | 28 Sep 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में झारखंड के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने अगले शैक्षणिक सत्र के बाद आदिवासी भाषाओं में कक्षा 1 से कक्षा 5 तक के छात्रों को पाठ पढ़ाने का एक नया मॉडल पेश करने के लिये 5,600 से अधिक सरकारी प्राथमिक स्कूलों की पहचान की है।
प्रमुख बिंदु
- झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (जेईपीसी) के अनुसार, इस परियोजना के लिये केवल उन स्कूलों को चुना गया है, जहाँ बड़ी संख्या में छात्रों ने आदिवासी भाषाओं का इस्तेमाल अपनी पहली भाषा के रूप में किया है।
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के राज्य समन्वयक अभिनव कुमार ने कहा कि राज्य पहले ही ऐसे छात्रों के लिये आदिवासी भाषाओं (संथाली, मुंडारी, कुडुक) में पाठ्यपुस्तकें पेश कर चुका है और शिक्षा का नया मॉडल इन पुस्तकों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि एक बार जब छात्र उस भाषा में मूल बातें समझ जाते हैं, जिसमें वे अधिक सहज महसूस करते हैं, तो शिक्षा का माध्यम धीरे-धीरे हिन्दी या अंग्रेज़ी में बदल दिया जाएगा।
- उन्होंने कहा कि आदिवासी भाषाओं में छात्रों के एक समूह को शिक्षित करने का नया मॉडल छात्रों की पढ़ाई में रुचि विकसित करने और उन्हें अपने विषयों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा।
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, आदिवासी समुदाय झारखंड की कुल 3.29 करोड़ की आबादी का कम-से-कम 26.3 प्रतिशत है।
- शिक्षा के नए मॉडल के तहत किसी विशेष क्षेत्र में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली आदिवासी भाषा का इस्तेमाल उस क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षा के माध्यम के रूप में किया जाएगा। उदाहरण के लिये, संथाली भाषा आमतौर पर झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में उपयोग की जाती है, जबकि मुंडारी आमतौर पर कोल्हान में बोली जाती है, जिसमें पश्चिमी सिंहभूम और पूर्वी सिंहभूम ज़िले शामिल हैं।
- जेईपीसी के प्रवक्ता ने कहा कि कक्षा 1 के छात्रों को पूरा पाठ्यक्रम स्थानीय भाषा में पढ़ाया जाएगा, ताकि वे विषयों को समझ सकें। हालाँकि कक्षा 2 में केवल 60% पाठ्यक्रम स्थानीय भाषा में और शेष 40% अंग्रेज़ी या हिन्दी में कवर किया जाएगा।