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झारखंड

खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण विधेयक पारित

  • 12 Nov 2022
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

11 नवंबर, 2022 को झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में राज्य सरकार ने 1932 का खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण विधेयक ध्वनिमत से पारित करा लिया।

प्रमुख बिंदु 

  • झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिये विधेयक-2022 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में रखा। विपक्ष की ओर से इसमें कई संशोधन आए, प्रवर समिति को भेजने का भी प्रस्ताव आया, लेकिन सरकार ने इसे ध्वनिमत से इन्कार कर दिया।
  • इस विधेयक के मुताबिक वे लोग झारखंड के स्थानीय अथवा मूल निवासी कहे जाएंगे, जिनका या जिनके पूर्वजों का नाम 1932 या उससे पहले के खतियान में दर्ज है।
  • जिनका नाम खतियान में दर्ज नहीं होगा अथवा जिनका खतियान खो गया हो या नष्ट हो गया हो, ऐसे लोगों को ग्राम सभा सत्यापित करेगी कि वे झारखंड के मूल निवासी हैं या नहीं। भूमिहीन व्यक्तियों के मामले में, स्थानीय व्यक्ति की पहचान ग्राम सभा द्वारा संस्कृति, स्थानीय रीति-रिवाज, परंपरा आदि के आधार पर की जाएगी।
  • विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री ने विधेयक में थर्ड एवं फोर्थ ग्रेड की नौकरी को स्थानीयता की नीति को नियोजन नीति से जोड़ा और कहा कि 1932 का खतियान जिन लोगों के पास होगा, वे लोग ही थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरी के पात्र होंगे।
  • 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता का विस्तार पूरे झारखंड में होगा। ये अधिनियम भारत के संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल होने के बाद प्रभावी होगा।
  • स्थानीय व्यक्तियों का अर्थ झारखंड का अधिवास (डोमिसाइल) होगा, जो एक भारतीय नागरिक है और झारखंड की क्षेत्रीय एवं भौगोलिक सीमा के भीतर है और उसके या उसके पूर्वजों का नाम 1932 या उससे पहले के सर्वेक्षण/खतियान में दर्ज है।
  • इस अधिनियम के तहत परिभाषित स्थानीय व्यक्ति सामाजिक सुरक्षा, सामाजिक बीमा और रोज़गार/बेरोज़गारी के संबंध में राज्य की सभी योजनाओं और नीतियों के हकदार होंगे तथा उन्हें अपनी भूमि, रोज़गार या कृषि ऋण/ऋण आदि पर विशेषाधिकार और संरक्षण प्राप्त होगा।
  • इस अधिनियम के तहत परिभाषित स्थानीय व्यक्ति प्राथमिकता के आधार पर अपने भूमि रिकॉर्ड को बनाए रखने के भी हकदार होंगे, जैसा नियम के तहत निर्धारित और विनियमित किया जा सकता है।
  • इस अधिनियम के तहत परिभाषित स्थानीय व्यक्ति राज्य में व्यापार और वाणिज्य के लिये विशेष रूप से पारंपरिक और सांस्कृतिक उपक्रमों से संबंधित स्थानीय वाणिज्यिक सांस्कृतिक उपक्रमों और स्थानीय झीलों/नदियों/मत्स्य पालन पर अधिमान्य अधिकार के भी हकदार होंगे।
  • इसके अलावा विधानसभा में ओबीसी आरक्षण बिल भी पास हुआ। राज्य में अब 77 फीसदी आरक्षण होगा। पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 फीसदी, अनुसूचित जनजाति (ST) को 28 फीसदी और अनुसूचित जाति (SC) को 12 फीसदी आरक्षण मिलेगा।
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