केसरिया स्तूप | 20 Apr 2024
चर्चा में क्यों?
केसरिया स्तूप विश्व का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप है। यह बिहार के पूर्वी चंपारण ज़िले में पटना से 110 किलोमीटर की दूरी पर केसरिया में स्थित है।
मुख्य बिंदु:
- स्तूप का पहला निर्माण ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी का माना जाता है। मूल केसरिया स्तूप संभवतः अशोक के समय (लगभग 250 ईसा पूर्व) का है, क्योंकि अशोक के एक स्तंभ की राजधानी के अवशेष वहाँ खोजे गए थे।
- वर्तमान स्तूप 200 ईस्वी और 750 ईस्वी के बीच गुप्त राजवंश का है तथा संभवतः चौथी शताब्दी के शासक राजा चक्रवर्ती से जुड़ा हुआ है।
- स्तूप टीले का उद्घाटन बुद्ध के समय में भी किया गया होगा क्योंकि यह कई मायनों में वैशाली के लिच्छवियों द्वारा बुद्ध द्वारा दिये गए भिक्षापात्र को रखने के लिये बनाए गए स्तूप के वर्णन से मेल खाता है।
- प्राचीन काल में केसरिया मौर्य और लिच्छवियों के शासन के अधीन था।
- प्राचीन काल में दो महान विदेशी यात्रियों, फैक्सियन (फाह्यान) और जुआन जांग (ह्वेन त्सांग) ने इस स्थान का दौरा किया था तथा उन्होंने अपनी यात्राओं के दिलचस्प एवं जानकारीपूर्ण विवरण छोड़े हैं।
- कुषाण वंश (30 ईस्वी से 375 ईस्वी) के प्रसिद्ध सम्राट कनिष्क की मुहर वाले सोने के सिक्कों की खोज केसरिया की प्राचीन विरासत को और स्थापित करती है।
- इसकी खोज वर्ष 1814 में कर्नल मैकेंज़ी के नेतृत्व में इसकी खोज के बाद 19वीं शताब्दी की शुरुआत में शुरू हुई थी।
- बाद में, वर्ष 1861-62 में जनरल कनिंघम द्वारा इसकी खुदाई की गई और वर्ष 1998 में पुरातत्त्वविद के.के. मुहम्मद के नेतृत्व में एक ASI टीम ने इस स्थल की उचित खुदाई की थी।