उत्तर प्रदेश
कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य
- 24 Feb 2025
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चर्चा में क्यों ?
हाल ही में बहराइच ज़िलेमें भारत-नेपाल सीमा के पास कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य के घने जंगलों में लगभग 45-50 वर्ष की आयु के नर हाथी का शव मिला है।
मुख्य बिंदु:
- मौत का कारण:
- अधिकारियों का मानना है कि हाथी की मौत दो वयस्क हाथियों के बीच लड़ाई के कारण हो सकती है, क्योंकि घटनास्थल पर पैरों के निशान और टूटे हुए पेड़ पाए गए हैं।
- हालिया वन्यजीव मौतें:
- इस घटना से पहले भी अभयारण्य में 12 वर्षीय नर बाघ और 7 वर्षीय नर तेंदुए की मौतें हो चुकी हैं। ये घटनाएँ वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताओं का कारण बन रही हैं।
कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य
- भौगोलिक स्थिति:
- यह उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले में ऊपरी गंगा के मैदान में स्थित है, जो प्राकृतिक रूप से एक समृद्ध और विविध पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखता है।
- यह 400.6 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है।
- संरक्षण:
- वर्ष 1987 में इसे 'प्रोजेक्ट टाइगर' के दायरे में लाया गया और किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य और दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के साथ मिलकर यह दुधवा टाइगर रिज़र्व बनाता है। इसकी स्थापना 1975 में हुई थी।
- अभयारण्य में चीतल, हिरण, जंगली सूअर, बाघ, हाथी और तेंदुए आदि प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं।
- यह घड़ियाल, बाघ, गैंडे, गंगा डॉल्फिन, दलदली हिरण, हिसपिड खरगोश, बंगाल फ्लोरिकन, सफेद पीठ वाले और लंबी चोंच वाले गिद्धों सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।
- पारिस्थितिकी संरचना:
- यह क्षेत्र मिश्रित पर्णपाती वन से घिरा हुआ है, जिसमें साल और सागौन के जंगल, हरे-भरे घास के मैदान, असंख्य दलदल और आर्द्रभूमि शामिल हैं।
- इस क्षेत्र में गिरवा नदी बहती है, जो पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करती है।