ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी को नैक रैंकिंग में मिला ए++ ग्रेड | 13 Apr 2023

चर्चा में क्यों?

11 अप्रैल, 2023 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय को नैक कमेटी द्वारा ए++ ग्रेड दिया गया है। इसके साथ ही जीवाजी विश्वविद्यालय प्रदेश का ऐसा इकलौता विश्वविद्यालय बन गया है जिसे यह उच्च ग्रेड प्राप्त हुआ है।

प्रमुख बिंदु 

  • ज्ञातव्य है कि नैक कमेटी की 5 सदस्य टीम ने 27 से 29 मार्च, 2023 तक जीवाजी विश्वविद्यालय का निरीक्षण किया था।
  • वहीं भोपाल के महारानी लक्ष्मी बाई महाविद्यालय को नैक रैंकिंग में ए ग्रेड प्राप्त हुआ है। शिवपुरी के पीजी महाविद्यालय ने एक कदम आगे बढ़ाकर रैंकिंग में बी+ ग्रेड प्राप्त किया है।
  • उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नेक में सम्मिलित होने वाले महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों को प्राथमिकता में रखकर प्रशिक्षण से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर की पूर्ति की गई। महाविद्यालयों का इंटरनल एसेसमेंट कराया गया।
  • उल्लेखनीय है कि ई-लायब्रेरी, वाई-फाई परिसर, शिक्षकों का प्रशिक्षण, ई-कंटेंट, इन्क्यवेशन सेंटर, हास्टल और विद्यार्थियों का परफार्मेंस, शिक्षकों के शोधकार्य के आधार पर मूल्यांकन कर नैक ग्रेडिंग तय की जाती है।
  • गौरतलब है कि नैक या नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडेशन काउंसिल (राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद्) का काम देशभर की यूनिवर्सिटीज, हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स और प्राइवेट इंस्टीट्यूट्स की क्वालिटी परखना और उनको रेटिंग देना है।
  • यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने जो नई गाइडलाइंस जारी की हैं उनके मुताबिक सभी शिक्षण संस्थानों को नैक से मान्यता पाना जरूरी है। अगर कोई संस्थान इससे मान्यता नहीं लेता है तो उसे किसी गवर्नमेंट पॉलिसी का फायदा नहीं मिलता है।
  • महाविद्यालय/विश्वविद्यालय या कोई और उच्च शिक्षण संस्थान सभी मानकों को पूरा करने पर नैक ग्रेडिंग के लिये आवेदन करता है। आवेदन के बाद नैक की टीम संस्थान में आती है और इंस्पेक्शन करती है। इस दौरान वे एजुकेशनल फैसिलिटीज, इंफ्रास्ट्रक्चर, कॉलेज एटमॉस्फियर जैसे विभिन्न पहलुओं की जाँच करते हैं। अगर नैक की टीम संतुष्ट होती है तो कॉलेज को उसी आधार पर सीजीपीए दिये जाते हैं, जिसके आधार पर बाद में ग्रेड दिया जाता है।
  • एक बार नैक ग्रेडिंग मिल जाने के बाद ये 4 साल के लिये मान्य होता है। 4 साल बाद फिर से रेटिंग दी जाती है। नैक में टेम्परेरी ग्रेडिंग की भी व्यवस्था है, जिसमें दो साल के लिये ग्रेडिंग दी जाती है। अगर कोई महाविद्यालय या विश्वविद्यालय नेक द्वारा दिये गए  ग्रेड से खुश नहीं है तो 6 महीने के बाद फिर से ग्रेड के लिये आवेदन कर सकता है।