राज्यपाल को झीरम घाटी जाँच आयोग की रिपोर्ट सौंपी गई | 08 Nov 2021
चर्चा में क्यों?
6 नवंबर, 2021 को राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके को झीरम घाटी जाँच आयोग की रिपोर्ट सौंपी गई। यह रिपोर्ट आयोग के सचिव एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) संतोष कुमार तिवारी ने सौंपी। राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपने पर विवाद भी शुरू हो गया है।
प्रमुख बिंदु
- यह आयोग छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में गठित किया गया था। मिश्रा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश भी थे तथा वर्तमान में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं।
- यह प्रतिवेदन 10 वॉल्यूम और 4,184 पेज में तैयार किया गया है।
- झीरम घाटी की घटना 25 मई, 2013 को हुई थी। इस घटना की जाँच के लिये आयोग का गठन 28 मई, 2013 को किया गया था। आयोग ने 8 साल बाद अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दी है।
- हालाँकि जाँच आयोग द्वारा रिपोर्ट राज्य सरकार को देने की जगह सीधे राज्यपाल को दिये जाने पर विवाद शुरू हो गया है, विशेषज्ञों का कहना है कि आमतौर पर आयोग द्वारा यह रिपोर्ट गृह विभाग को सौंपी जानी चाहिए थी, ताकि सरकार की तरफ से इसे सदन में पेश किया जा सके।
- कॉन्ग्रेस ने रिपोर्ट सौंपने के तरीके पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब भी किसी न्यायिक आयोग का गठन किया जाता है, तब आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपता है।
- उल्लेखनीय है कि बस्तर की झीरम घाटी में नक्सलियों ने 25 मई, 2013 को तत्कालीन कॉन्ग्रेस की परिवर्तन यात्रा के काफिले पर हमला किया था। इस हमले में विधायक व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व मंत्री व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा सहित करीब 32 अन्य लोग शहीद हो गए थे। इस घटना में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल गंभीर रूप से घायल हुए थे, जिनका बाद में इलाज़ के दौरान निधन हो गया था।