न्यू ईयर सेल | 50% डिस्काउंट | 28 से 31 दिसंबर तक   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



State PCS Current Affairs

झारखंड

झारखंड पंचायती राज विभाग ने पेसा नियमावली का प्रारूप किया प्रकाशित

  • 28 Jul 2023
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

26 जुलाई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड पंचायती राज विभाग ने झारखंड पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) (पेसा) नियमावली-2022 का औपबंधिक प्रारूप प्रकाशित कर दिया है।  

प्रमुख बिंदु  

  • झारखंड पंचायत राज अधिनियम-2001 की धारा-131 की उप धारा-1 द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए इसका प्रारूप प्रकाशित किया गया है। इस तरह अब आम लोगों से इस पर राय ली जाएगी। उसके बाद विभाग अंतिम रूप से फाइनल प्रारूप का प्रकाशन करेगा। 
  • अभी जो प्रारूप प्रकाशित किया गया है, इसमें पंचायतों के संचालन के बारे में विस्तार से नियम तय किये गए है। इस नियमावली का नाम ‘झारखंड पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार नियमावली-2022’ दिया गया है। 
  • इसमें सचिव का अर्थ ग्राम पंचायत का पंचायत सचिव होगा। ग्रामसभा अध्यक्ष से अभिप्रेत ग्राम प्रधान, ग्रामसभा अध्यक्ष, मांझी मुंडा, मानकी, डोकलो, सोहोर, पंच परगनैत, पड़हा राजा, पाहन, महतो होगा। ग्राम पंचायत की कार्यकारिणी समिति ग्राम पंचायत स्तर पर निर्वाचित मुखिया एवं वार्ड सदस्य होंगे।  
  • इस नियमावली में वन भूमि, लघु जल निकायों, लघु खनिज, मादक द्रव्य, प्राकृतिक संसाधन को परिभाषित किया गया है। उस पर ग्रामसभा के अधिकार और संचालन तय किये गए हैं। साथ ही ग्रामसभा के गठन एवं ग्राम की संरचना के बारे में विस्तार से उल्लेख किया गया है। 
  • ग्रामसभा की स्थाई समितियों जैसे- ग्राम विकास समिति, सार्वजनिक संपदा समिति, कृषि समिति, स्वास्थ्य समिति, ग्राम रक्षा समिति, आधारभूत संरचना समिति, शिक्षा एवं सामाजिक न्याय समिति, निगरानी समिति के कार्यों को बताया गया है। 
  • सामुदायिक संसाधनों के प्रबंधन के साथ ही परंपराओं का संरक्षण एवं विवादों का निबटारा, ग्रामसभा में विवादों की सुनवाई, ग्रामसभा द्वारा दंड निर्धारित करने, ग्रामसभा के निर्णय पर अपीलीय अधिकार को भी विस्तारपूर्वक शामिल किया गया है। 
  • इनके अलावा, विकास योजना का अनुमोदन लाभार्थियों की पहचान एवं सामाजिक क्षेत्र के संस्थाओं के कार्यों पर नियंत्रण को भी बिंदुवार उल्लेखित किया गया है।  
  • ग्रामसभा द्वारा कार्यक्रमों की निगरानी, ग्रामसभा के निर्णय का अनुपालन, ग्रामसभा द्वारा योजना बनाना, लाभार्थियों की पहचान, सामाजिक क्षेत्र की संस्थाओं का अनुश्रवण, ग्रामसभा द्वारा सामाजिक अंकेक्षण, ग्रामसभा द्वारा निधियों के उपयोग और उसे अभिप्रमाणित करना, को भी समाहित किया गया है।   
  • नियमावली में यह भी शामिल किया गया है कि सभी व्यक्तियों को गांव के क्षेत्र के अधीन वाले प्राकृतिक जल संसाधनों में मछली पकड़ने का समान अधिकार रहेगा। इस तरह के जल संसाधन का किसी व्यक्ति विशेष अथवा संस्था के साथ सरकारी प्रावधानों के अंतर्गत बंदोबस्ती नहीं होगी। 
  • ग्रामसभाएँ लघु खनिजों जैसे- मिट्टी, पत्थर, बालू, मोरम आदि के लिये योजना बनाने और उसके उपयोग के लिये सक्षम होंगी। ग्रामसभा बालू घाट की संचालक होगी अथवा अपने स्तर से स्थानीय ज़रूरतों के लिये इस्तेमाल कर सकेगी। इससे प्राप्त राजस्व ग्रामसभा के कोष में जमा होगा।  
  • ग्रामसभा यह भी सुनिश्चित करेगी कि बालू घाट में जेसीबी या अन्य किसी मशीन से खनन नहीं हो। मानसून अवधि में बालू खनन व उठाव पर रोक भी लगानी होगी। 
  • अनुसूचित क्षेत्रों से संबंधित ग्रामसभा या पंचायत की पूर्व सलाह के बिना लघु खनिज का खनन पट्टा अथवा खुली खान अनुमति पत्र जारी नहीं होगा। इसकी स्वीकृति के लिये अनुसूचित जनजाति के सहयोग समिति को प्राथमिकता दी जाएगी। लघु खनिजों के वाणिज्यिक उपयोग की अनुमति देने से पहले खनिज विभाग को ग्रामसभा की अनुशंसा लेनी होगी।  
  • ग्रामसभा ही लघु वनोत्पाद का रॉयल्टी तय करेगी। ग्रामसभा द्वारा भूमि वापसी और हस्तांतरण को लेकर भी कुछ अधिकार व नियमन तय किये गए हैं। बाज़ार प्रबंधन भी ग्राम पंचायत के सहयोग से होगा।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2