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झारखंड

झारखंड सरकार लाएगी नकल विरोधी कानून

  • 24 Jul 2023
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

23 जुलाई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड सरकार प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक की घटनाओं और नकल (कदाचार) रोकने के लिये ‘नकल विरोधी कानून’बना रही है। कानून निर्माण का प्रस्ताव राजस्थान, गुजरात व उत्तराखंड की तर्ज पर तैयार किया गया है। कैबिनेट की आगामी बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई जा सकती है।  

प्रमुख बिंदु  

  • प्रस्ताव में पेपर लीक करने का दोषी पाये जाने पर 10 वर्षों का कारावास और एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगा कर दंडित किया जा सकता है।  
  • परीक्षाओं में नकल करने का दोषी पाये जाने पर संबंधित विद्यार्थी को भी तीन वर्ष तक के कारावास का प्रावधान किया जा रहा है। दोषी छात्र पर एक लाख रुपए तक अर्थदंड और अगले दो वर्षों तक परीक्षाओं में शामिल होना प्रतिबंधित करने का दंड भी दिया जा सकता है। 
  • विदित है कि वर्तमान में राज्य में ‘झारखंड एग्जाम कंडक्ट रूल-2001’ प्रभावी है। इसके तहत पेपर लीक और परीक्षाओं में नकल के लिये मामूली दंड का प्रावधान है। दोषी के लिये अधिकतम छह माह का कारावास और तीन हज़ार रुपए तक का जुर्माना निर्धारित है।  
  • नये कानून को विधानसभा की मंजूरी मिलने के बाद किसी प्रिंटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता, कोचिंग संस्थान या प्रबंधन को नकल कराने या प्रश्नपत्र लीक करने का दोषी पाये जाने पर उनको न केवल 10 वर्ष तक का कारावास और एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा, बल्कि उनकी संपत्ति भी ज़ब्त की जा सकेगी। 
  • ज्ञातव्य है कि नकल विरोधी कानून, 1992 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और शिक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पारित किया था।  
  • इस कानून का उद्देश्य राज्य में स्कूल और विश्वविद्यालय परीक्षाओं में सामूहिक नकल की प्रथा को रोकना है।  
  • अधिनियम ने परीक्षाओं में अनुचित साधनों के उपयोग को गंभीर अपराध बना दिया और यह गैर-जमानती था और कथित तौर पर पुलिस को जाँच करने के लिये परीक्षा परिसर में प्रवेश करने की अनुमति दी। हालाँकि, 1993 में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी सरकार ने अगले वर्ष इसे रद्द कर दिया था।
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