उत्तर प्रदेश
ISARC: कम मीथेन उत्सर्जन के साथ चावल का विकास
- 02 Apr 2024
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल के वरिष्ठ कृषि अधिकारी 7वीं ISARC समन्वय समिति (ICC) की बैठक के लिये अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI), दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (ISARC), वाराणसी में एकत्र हुए।
मुख्य बिंदु:
- बैठक की अध्यक्षता करते हुए, IRRI के अंतरिम महानिदेशक ने कहा कि ISARC दक्षिण एशियाई क्षेत्र में चावल आधारित कृषि-खाद्य प्रणाली को बदलने से संबंधित सभी शोधों के लिये एक साक्ष्य-आधारित अनुसंधान केंद्र के रूप में उभर रहा है।
- वर्ष 2024 में, कम मीथेन उत्सर्जन वाले चावल की किस्मों के विकास और प्रीमियम गुणवत्ता वाले पौष्टिक चावल की उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये, ISARC सीधी बुआई वाला चावल (DSR) और वैकल्पिक गीले तथा सुखाने (AWD) जैसे सर्वोत्तम कृषि विज्ञान एवं प्रबंधन प्रथाओं के प्रसार पर कार्य कर रहा है।
- DSR, IRRI के प्रमुख अनुसंधान कार्यक्रमों में से एक है, जो तेज़ी से रोपण और परिपक्वता प्रदान करता है, जल तथा श्रम जैसे दुर्लभ संसाधनों का संरक्षण करता है।
- पारंपरिक पोखर ट्रांसप्लांट चावल तकनीक की तुलना में यह मशीनीकरण के लिये अधिक अनुकूल है और जलवायु परिवर्तन में योगदान करने वाली ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करता है।
- ISARC ने अनुसंधान, विस्तार, क्षमता विकास और प्रौद्योगिकी प्रसार में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है, जिससे हमारे कृषि परिदृश्य के सामने आने वाली गंभीर चुनौतियों का समाधान करने हेतु ठोस समाधान सामने आए हैं।
- कुछ उपलब्धियाँ जैसे अल्ट्रा-लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स चावल की किस्मों को जारी करना, स्पीड ब्रीडिंग प्रोटोकॉल, डायरेक्ट सीडेड चावल एवं सीड्स विदाउट बॉर्डर व राष्ट्रीय भागीदारों से ISARC के तकनीकी समर्थन के माध्यम से अपने-अपने क्षेत्रों में नवाचारों को दोहराने का आग्रह किया।
अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI)
- IRRI एक स्वतंत्र, गैर-लाभकारी, अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थान है, जिसकी स्थापना वर्ष 1960 में फिलीपीन सरकार के समर्थन से फोर्ड एवं रॉकफेलर फाउंडेशन द्वारा की गई थी।
- लॉस बानोस, फिलीपींस में मुख्यालय वाले इस संस्थान के कार्यालय एशिया और अफ्रीका के 17 चावल उत्पादक देशों में हैं।
- IRRI दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में स्थित है।
- इसका उद्देश्य चावल किसानों और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य तथा कल्याण में सुधार करना एवं भावी पीढ़ियों के लिये चावल उगाने वाले पर्यावरण की रक्षा करना है।
सीधी बुआई वाला चावल (DSR)
- अनुत्पादक जल प्रवाह को कम करने के लिये यह एक व्यवहार्य विकल्प है।
- DSR नर्सरी से रोपाई के बजाय खेत में बोए गए बीजों से चावल की फसल तैयार करने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है।
- पारंपरिक चावल स्थापना प्रणाली के लिये पर्याप्त मात्रा में जल की आवश्यकता होती है।
वैकल्पिक रूप से गीला करना और सुखाना (AWD)
- यह एक जल-बचत तकनीक है जिसे किसान चावल के खेतों में सिंचाई के जल की खपत को कम करने के लिये लागू कर सकते हैं, बिना इसकी उपज को कम किये।
- AWD में, तालाब का जल गायब होने के कुछ दिनों बाद सिंचाई का जल प्रयोग किया जाता है।