छत्तीसगढ़
हसदेव माइनिंग क्लीयरेंस में अनियमितता
- 07 Nov 2024
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चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग (CSSTC) ने छत्तीसगढ़ के सरगुजा में स्थित परसा कोयला खदान के लिये पर्यावरण मंज़ूरी प्रक्रिया में अनियमितताओं की पहचान की है।
- CSSTC ने जैव विविधता से समृद्ध क्षेत्र हसदेव में स्थित इस खनन परियोजना के लिये वन मंज़ूरी रद्द करने की सिफारिश की है।
मुख्य बिंदु
- CSSTC:
- छत्तीसगढ़ सरकार ने अनुसूचित जनजातियों से संबंधित नीतियों की सिफारिश करने के लिये जनजातीय सलाहकार परिषद का गठन किया।
- छत्तीसगढ़ की कुछ जनजातियों में बस्तर के गोंड, बैगा जनजाति, पहाड़ी कोरवा जनजाति, अभुज मारिया, बाइसनहॉर्न मारिया, मुरिया, हलबा, बिरहोर जनजाति, भतरा और धुरवा शामिल हैं।
- छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री परिषद के अध्यक्ष हैं तथा आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के मंत्री सदस्य हैं।
- CSSTC के निष्कर्ष:
- पर्यावरणीय मंज़ूरी में अनियमितताएँ: आयोग ने पाया कि परसा कोयला खदान के लिये पर्यावरणीय मंज़ूरी, जिसे केवल ग्राम सभा की सहमति से प्राप्त किया जाना अनिवार्य है, जाली दस्तावेजों का उपयोग करके प्राप्त की गई थी।
- ज़िला प्रशासन का कथित दुरुपयोग: आयोग के पत्र में कहा गया है कि खनन कंपनी ने कोयला खदान के लिये पर्यावरण मंज़ूरी और वन भूमि परिवर्तन की अनुमति प्राप्त करने के लिये ज़िला अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ की।
- आयोग ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस तरह की कार्रवाइयाँ ग्राम सभाओं के अधिकारों का उल्लंघन करती हैं, जिन्हें भारतीय संविधान की पाँचवीं अनुसूची के तहत स्वायत्त संस्थाओं के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- आदिवासी गाँवों की शिकायत: आयोग की जाँच 2021 में साल्ही, हरिहरपुर और फतेपुर गाँवों के 41 निवासियों की शिकायत के बाद शुरू हुई, जिसमें आरोप लगाया गया था कि परियोजना के लिये जाली ग्राम सभा दस्तावेजों का उपयोग किया गया था।
- निरस्तीकरण एवं कानूनी कार्रवाई की मांग:
- CSSTC की रिपोर्ट के बाद, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (CBA), जो हसदेव में खनन विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहा है, ने खदान की वन और पर्यावरण मंज़ूरी रद्द करने की मांग की।
हसदेव अरंड वन
- छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग में स्थित विशाल हसदेव अरंड वन अपनी जैव विविधता और कोयला भंडार के लिये जाना जाता है।
- यह वन कोरबा, सुजापुर और सरगुजा ज़िलों के अंतर्गत आता है जहाँ आदिवासी जनसंख्या काफी अधिक है।
- महानदी की सहायक नदी हसदेव नदी यहाँ से होकर बहती है।
- हसदेव अरंड मध्य भारत का सबसे बड़ा अखंडित वन है, जिसमें प्राचीन साल (शोरिया रोबस्टा) और सागौन के वन शामिल हैं।
- यह एक प्रसिद्ध प्रवासी गलियारा है और यहाँ हाथियों की महत्त्वपूर्ण उपस्थिति है।