अंतर्राष्ट्रीय ध्रुपद मेला 2022 | 03 Mar 2022
चर्चा में क्यों?
2 मार्च, 2022 को वाराणसी के तुलसीघाट पर आयोजित पाँच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय ध्रुपद मेला के 48वें संस्करण का समापन हो गया।
प्रमुख बिंदु
- 26 फरवरी, 2022 को तुलसीघाट पर अंतर्राष्ट्रीय ध्रुपद मेले का शुभारंभ महंत प्रो. विश्वंभरनाथ मिश्र एवं उत्तर प्रदेश नाटक अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. राजेश्वर आचार्य ने दीप जलाकर किया था।
- इस मेले का आयोजन महाराजा बनारस विद्यान्यास एवं ध्रुपद समिति के तत्वावधान में किया गया।
- ध्रुपद मेला प्रत्येक वर्ष फरवरी और मार्च महीने में आयोजित किया जाने वाला पाँच दिवसीय संगीत उत्सव है, जिसमें भाग लेने और अपना प्रदर्शन दिखाने के लिये पूरे भारत से प्रख्यात संगीत कलाकार आते हैं।
- उल्लेखनीय है कि ध्रुपद हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में सबसे पुराने प्रकारों में से एक है, जिसकी महत्त्वपूर्ण विशेषता राग की शुद्धता को बनाए रखने पर ज़ोर देना है।
- परंपरागत रूप से, गायन की ध्रुपद शैली तानपुरा और पखावज के साथ प्रदर्शित की जाती थी।
- बैजू बावरा मध्यकालीन भारत में एक प्रमुख ध्रुपद संगीतकार थे।