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राजस्थान

स्वदेशी कदन्न खेती की पहल

  • 27 Aug 2024
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उदयपुर ज़िले के झाड़ोल ब्लॉक में कदन्न (मिलेट्स) की खेती की पहल ने किसानों की नई पीढ़ी के बीच स्वदेशी बाजरा किस्मों की खेती को पुनर्जीवित किया है, जिससे आजीविका प्रोत्साहन के साथ-साथ प्राकृतिक खेती (नेचुरल फार्मिंग) पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।

मुख्य बिंदु

  • पायलट परियोजना का उद्देश्य स्थानीय आजीविका को बढ़ाने और सतत् कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रागी (Finger Millet), प्रोसो बाजरा, कंगनी (Foxtail) बाजरा तथा कोदो बाजरा जैसी बाजरा किस्मों को पुनर्जीवित करना है।
  • झाड़ोल के किसानों को रासायनिक रूप से गहन कृषि पद्धतियों को अपनाने और बहु-फसल जैसे पारंपरिक फसल विविधीकरण के स्थान पर तेज़ी से लाभ देने वाली वाणिज्यिक एकल-फसल को अपनाने के कारण फसल हानि का सामना करना पड़ा है।
  • पहचानी गई कदन्न किस्मों को मूल रूप से लघु बाजरा कहा जाता था और स्थानीय रूप से कुरी, बत्ती, कोदरा, चीना, समलाई एवं माल के रूप में जाना जाता था।
  • उदयपुर ज़िले में कार्यरत आंगनवाड़ी केंद्रों ने बच्चों के लिये पोषण पूरक के रूप में कदन्न आधारित व्यंजन शामिल करना शुरू कर दिया है।
  • उदयपुर स्थित स्वैच्छिक समूह सेवा मंदिर ने एक कार्यक्रम सहयोगी के माध्यम से लघु बाजरा की ज़मीनी स्तर पर खेती को सुविधाजनक बनाने के लिये परियोजना शुरू की।
  • कदन्न हस्तक्षेप के परिणाम से उत्साहित होकर, सेवा मंदिर ने हाल ही में 1,000 किसानों के साथ बाज़ार तक पहुँच के लिये एक रूपरेखा तैयार की है।

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