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जीपीआर सर्वे में पटना सिटी में प्राचीन पाटलिपुत्र के अवशेष मिलने के संकेत

  • 12 Jan 2023
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बिहार राज्य सरकार ने प्राचीन पाटलिपुत्र के अवशेष की खोज करने के लिये ग्राउंड पेंट्रेटिंग राडर (जीपीआर) से सर्वे शुरू करवाया है। जिसमें प्राचीन पाटलिपुत्र के अवशेष मिलने के संकेत मिल रहे हैं।

प्रमुख बिंदु

  • जीपीआर सर्वे वर्तमान गुलजारबाग के इर्द-गिर्द के क्षेत्रों में आईआईटी कानपुर की टीम के द्वारा किया जा रहा है। इस टीम ने बताया कि गुलजारबाग के इर्द- गिर्द 490 बीसी-180 बीसी के बीच की ईंट की दीवार के संकेत मिल रहे हैं।
  • इस सर्वें में 80 सेंटीमीटर से लेकर 2.5 मीटर तक के नीचे अवशेष मिलने के संकेत मिले रहे हैं, जो अलग-अलग डायरेक्शन में हैं। इसमें बेगम की हवेली और बीएनआर ट्रेनिंग कॉलेज के नीचे भी अवशेष के संकेत मिल रहे हैं।
  • दरअसल आर्किलोजीकल उत्खनन से पहले जीपीआर सर्वे में ऐतिहासिक अवशेष के सांकेतिक सिंग्लन मिलता है। इसी संकेत के आधार पर आर्किलोजीकल सर्वे ऑफ इंडिया उत्खनन करता है।
  • सर्वे में लगी टीम के अनुसार बीएनआर ट्रेनिंग कॉलेज के मैदान के एक मीटर नीचे मल्टीस्ट्रक्चर अवशेष के संकेत मिल रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें, तो एक ऐसी टनल का साक्ष्य मिल रहा है, जो गंगा नदी की तरफ जाती होगी। इस सर्वे के 3डी प्रोफाइल में मौर्यकाल के एक मीटर से लेकर तीन मीटर तक के स्ट्रक्चर दिखाई दे रहे हैं।
  • गौरतलब है कि जीपीआर एक भू-भौतिकीय विधि है, जो सतह की छवि के लिये रडार का उपयोग करती है। यह पुरातात्त्विक महत्त्व के स्थलों जैसी भूमिगत उपयोगिताओं की जाँच करने के लिये उप सतह का सर्वेक्षण करने का एक तरीका है। सर्वे की इस अत्याधुनिक तकनीक से बिना खुदाई कराए ज़मीन से 15 मीटर नीचे तक की सभी जानकारियाँ आसानी से मिल जाती हैं। महत्त्वपूर्ण जगहें, जहाँ ऐतिहासिक धरोहरें दबी हो सकती हैं, वहाँ की खुदाई में इनके नष्ट होने का खतरा अधिक रहता है, लेकिन इस सर्वे में किसी तरह का नुकसान नहीं होता है।
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