देश की पहली लिथियम ग्रेड रिफाइनरी | 07 Mar 2025
चर्चा में क्यों?
लोहुम कंपनी ने ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश में देश की पहली लिथियम ग्रेड रिफाइनरी की शुरुआत की।
मुख्य बिंदु
- उत्पादन क्षमता और दक्षता
- यह रिफाइनरी 1,000 मीट्रिक टन बैटरी-ग्रेड लिथियम सालाना उत्पादन करेगी। वर्ष 2029 में इसकी क्षमता 20 हज़ार टन हो जाएगी।
- ई-वेस्ट से निकलने वाले ब्लैक मास को रिसाइकिल कर उसमें से लिथियम उत्सर्जित किया जाएगा।
- इसके अतिरिक्त, कंपनी कैथोड एक्टिव मटीरियल (CAM) के उत्पादन में अपनी क्षमताओं का विस्तार कर रही है, जो बड़े पैमाने पर लिथियम-आयन बैटरी उत्पादन के लिये आवश्यक घटक है।
- कंपनी वर्तमान में भारत में 90 प्रतिशत से अधिक लिथियम को रिफाइन कर रही है।
- कंपनी के अनुसार इसकी तकनीकी दक्षता चीन की तुलना में प्रतिस्पर्द्धात्मक और अमेरिकी/यूरोपीय सुविधाओं की तुलना में अधिक किफायती है।
- लिथियम रिफाइनिंग:
-
इलेक्ट्रिक वाहनों (EV), स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में लिथियम-आयन बैटरियों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
-
आने वाले वर्षों में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी भंडारण की मांग तेज़ी से बढ़ने वाली है, जिससे लिथियम की ज़रूरत भी बढ़ेगी।
-
भारत की लिथियम आपूर्ति का बड़ा हिस्सा चीन से आता है, जो भारत के लिये एक रणनीतिक और आर्थिक चुनौती है। .
-
लोहुम का यह विस्तार भारत को इस निर्भरता से मुक्त करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
-
लिथियम
परिचय:
- यह एक रासायनिक तत्त्व है जिसका प्रतीक (Li) है।
- यह एक नरम तथा चाँदी के समान सफेद धातु है।
- मानक परिस्थितियों में यह सबसे हल्की धातु और सबसे हल्का ठोस तत्त्व है।
- यह अत्यधिक प्रतिक्रियाशील और ज्वलनशील है, अत: इसे खनिज तेल के रूप में संगृहीत किया जाना चाहिये।
- यह क्षारीय एवं एक दुर्लभ धातु है।
- क्षार धातुओं में लिथियम, सोडियम, पोटेशियम, रुबिडियम, सीज़ियम और फ्रेंशियम रासायनिक तत्त्व शामिल होते हैं। ये हाइड्रोजन के साथ मिलकर समूह-1 (group- 1) जो आवर्त सारणी (Periodic Table) के एस-ब्लॉक (s-block) में स्थित है, का निर्माण करते हैं।
- दुर्लभ धातुओं (Rare Metals- RM) में नायोबियम (Nb), टैंटेलम (Ta), लिथियम (Li), बेरिलियम (Be), सीज़ियम (Cs) आदि और दुर्लभ मृदा तत्त्वों (Rare Earths- RE) में स्कैंडियम (Sc) तथा इट्रियम (Y) के अलावा लैंटेनियम (La) से लुटीशियम (Lu) तक के तत्त्व शामिल हैं।
- ये धातुएँ अपने सामरिक महत्त्व के कारण परमाणु और अन्य उच्च तकनीकी उद्योगों जैसे- इलेक्ट्रॉनिकस, दूरसंचार, सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, रक्षा आदि में उपयोग की जाती हैं।