भारत छह वर्ष बाद गेहूँ का आयात करेगा | 03 Jun 2024

चर्चा में क्यों?

विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक देश भारत, लगातार तीन वर्षों से निराशाजनक फसल उत्पादन के कारण घटते भंडार की पूर्ति तथा बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने हेतु छह वर्ष के अंतराल के बाद गेहूँ का आयात शुरू करने की योजना बना रहा है।

मुख्य बिंदु:

  • पिछले 3 वर्षों में प्रतिकूल मौसम स्थिति के कारण भारत के गेहूँ उत्पादन में गिरावट आई है
  • सरकार का अनुमान है कि इस वर्ष गेहूँ की फसल पिछले वर्ष (2023) के रिकॉर्ड उत्पादन 112 मिलियन मीट्रिक टन से 6.25% कम होगी
  • वर्ष 2024 में गेहूँ खरीद के लिये सरकार का लक्ष्य 30-32 मिलियन मीट्रिक टन था, लेकिन वह अब तक केवल 26.2 मिलियन टन ही खरीद पाई है
  • घरेलू स्तर में गेहूँ की कीमतें सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,275 रुपए प्रति 100 किलोग्राम से ऊपर रही हैं जिसमें हाल ही में वृद्धि हो रही हैं।
    • इसलिये सरकार ने गेहूँ पर 40% आयात शुल्क हटाने का निर्णय लिया है, ताकि निजी व्यापारियों और आटा मिलों को रूस से गेहूँ आयात करने की अनुमति मिल सके।

गेहूँ:

  • यह भारत में चावल के बाद दूसरी सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है तथा देश के उत्तरी एवं उत्तर-पश्चिमी भागों की प्रमुख खाद्यान्न फसल है।
  • गेहूँ, रबी की फसल है जिसे परिपक्वता के समय ठंडे मौसम और तेज़ धूप की आवश्यकता होती है।
    • हरित क्रांति की सफलता ने रबी फसलों, विशेषकर गेहूँ की वृद्धि में योगदान दिया।
  • विश्व में शीर्ष 3 गेहूँ उत्पादक (2021): चीन, भारत और रूस
  • भारत में शीर्ष 3 गेहूँ उत्पादक (2021-22 में): उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब
  • भारत में गेहूँ उत्पादन और निर्यात की स्थिति:
    • भारत, चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक देश है। लेकिन वैश्विक गेहूँ व्यापार में इसकी हिस्सेदारी 1% से भी कम है। यह इसका एक बड़ा हिस्सा गरीबों को सब्सिडी युक्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिये रखता है।
    • इसके शीर्ष निर्यात बाज़ार बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका हैं।
  • सरकार द्वारा की गई पहलें:
    • मैक्रो मैनेजमेंट मोड ऑफ एग्रीकल्चर, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना गेहूँ की खेती को प्रोत्साहित करने हेतु प्रमुख सरकारी पहलें हैं।