उत्तराखंड
आपदा से बचाव के लिये उत्तराखंड में काम करेगा इंसिडेंट रिस्पॉन्स सिस्टम
- 07 Dec 2023
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चर्चा में क्यों?
5 दिसंबर, 2023 को आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा ने प्रेस वार्ता में बताया कि आपदा में लोगों को तेजी से बचाने, राहत पहुँचाने के लिये इंसिडेंट रिस्पॉन्स सिस्टम (आईआरएस) तैयार किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। इसकी स्थापना राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के नियमों के तहत की जा रही है।
- इसके लिये यूएसडीएमए ने निविदा जारी की है। ब्लॉक से लेकर ज़िला व राज्य स्तर पर इंसिडेंट रिस्पॉन्स टीम (आईआरटी) भी बनाई जाएगी। आपदा के हिसाब से ये टीम भी काम करेंगी।
- आईआरएस की गाइडलाइन तैयार कर ली गई है। इसे लागू करने के लिये सॉफ्टवेयर बनवाया जा रहा है। इसके बाद आपदा प्रबंधन में और बेहतर तरीके से राहत एवं बचाव के कार्य किये जा सकेंगे।
- विदित हो कि राज्य में हर साल आपदाएँ सरकार के लिये चुनौती साबित होती हैं। हाल में सिलक्यारा सुरंग हादसा हो या उससे पहले जोशीमठ भूधंसाव जैसी आपदा। इनसे पार पाने के लिये एनडीएमए के नियमों के तहत अब आईआरएस सिस्टम तैयार किया जा रहा है। इससे आपदा की तीव्रता या जोखिम के हिसाब से तत्काल बचाव व समाधान किया जा सकेगा।
- आईआरएस के तीन सेक्शन होंगे। एक ऑपरेशन सेक्शन होगा। दूसरा प्लानिंग सेक्शन और तीसरा लॉजिस्टिक सेक्शन होगा। तीनों के समन्वय से आपदा राहत कार्यों को और तेजी से किया जा सकेगा।
- प्रारंभिक चेतावनी मिलने के बाद रिस्पॉन्सिबल ऑफिसर (आरओ) संबंधित क्षेत्र की इंसिडेंट रिस्पांस टीम (आईआरटी) को सक्रिय करेगा। बिना किसी चेतावनी के किसी आपदा की स्थिति में स्थानीय आईआरटी काम करेगा। अगर ज़रूरी होगा तो वह आरओ को सहायता के लिये संपर्क करेगा।
- आईआरटी सभी स्तरों, यानी राज्य, ज़िला, उप-मंडल और तहसील, ब्लॉक पर पूर्व-निर्धारित होगी। अगर आपदा जटिल होगी और स्थानीय आईआरटी के नियंत्रण से बाहर होगी तो उच्चस्तरीय आईआरटी को सूचित किया जाएगा। इसके बाद उच्चस्तरीय आईआरटी इस पूरी आपदा से बचाव का ज़िम्मा संभालेगी।