मध्य प्रदेश
टाइगर रिजर्व के प्रभावी प्रबंधन में सतपुड़ा रिजर्व देश में द्वितीय तथा कान्हा रिजर्व पाँचवें स्थान पर
- 11 Apr 2023
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चर्चा में क्यों?
9 अप्रैल, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के मैसूर में प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन (MEE) के पाँचवें दौर की सारांश रिपोर्ट जारी की, जिसमें देश के 51 टाइगर रिजर्व में टॉप 5 टाइगर रिजर्व में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को द्वितीय एवं कान्हा रिजर्व को पाँचवां स्थान प्राप्त हुआ है।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि पहले स्थान पर केरल का पेरियार टाइगर रिजर्व रहा। उसका प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन स्कोर 94.38% रहा। वहीं दूसरे स्थान पर मध्य प्रदेश का सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और तीसरे स्थान पर कर्नाटक के बांदीपुर टाइगर रिजर्व रहा। दोनों का प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन स्कोर 93.18% रहा।
- इसके अलावा मध्य प्रदेश के बालाघाट के कान्हा टाइगर रिजर्व को पाँचवां और सिवनी के पेंच टाइगर रिजर्व को आठवां रैंक मिला है।
- सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को यह रैंक बेहतर प्रबंधन, कार्य, बेहतर टीम के चलते प्राप्त हुआ है।
- इस रिपोर्ट में वर्ष 2022 में अधिसूचित रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व (राजस्थान) और रानीपुर टाइगर रिजर्व (उत्तर प्रदेश) को शामिल नहीं किया गया है। वर्तमान में देश में कुल 53 टाइगर रिजर्व हैं।
- गौरतलब है कि प्रबंधन प्रभावशीलता और मूल्यांकन थर्ड पार्टी असेसमेंट है, जो 4 साल में एक बार अपने सर्वे कर आँकड़े जारी करती है। सर्वे में मूल्यांकन टीम दस्तावेज़ों, जमीनी कार्य, फील्ड स्टाफ और हितधारकों के साथ बातचीत, वन्यजीवों की वृद्धि और सुरक्षा और प्रबंधन प्रणालियों के स्तर का मूल्यांकन करती है।
- समुदाय, पर्यटन को सुव्यवस्थित करना, पार्क और जानवरों दोनों के लिये बेहतर बुनियादी ढाँचे के साथ-साथ सक्रिय वन्यजीव प्रबंधन कुछ ऐसे ही मापदंड हैं, जिनके आधार पर पार्क को आँका जाता है।
- सतपुड़ा टाइगर रिजर्व
- नर्मदापुरम ज़िले में स्थित सतपुड़ा टाइगर रिजर्व 2130 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यह डेक्कन बायो-जियोग्राफिक क्षेत्र का हिस्सा है। अभूतपूर्व प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह देश की प्राचीनतम वन संपदा है, जो बड़ी मेहनत से संजोकर रखी गई है।
- हिमालय के क्षेत्र में पाई जाने वाली वनस्पतियों की कुछ प्रजातियाँ और दक्षिण के वनों में पाई जाने वाली कुछ प्रजातियाँ, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के वन क्षेत्र में भी भरपूर पाई जाती है। कुछ प्रजातियाँ जैसे कीटभक्षी घटपर्णी, बाँस, हिसालू, दारूहल्दी सतपुड़ा और हिमालय दोनों जगह मिलती हैं।
- सतपुड़ा की पहाड़ी श्रृंखला में 1500 से 10 हज़ार वर्ष पुराने 50 शैलाश्रय हैं। प्राकृतिक महत्त्व के साथ इनका पुरातात्त्विक महत्त्व भी है। इस प्रकार सतपुड़ा टाइगर रिजर्व देश के मध्य क्षेत्र के इकोसिस्टम की आत्मा है।
- यहाँ अकाई वट, जंगली चमेली जैसी वनस्पतियाँ भी हैं, जो अन्यत्र नहीं या बहुत कम पाई जाती हैं। वनस्पतियों के अतिरिक्त 14 ऐसे वन्य-जीव हैं जिनका जीवन आज खतरे में हैं, फिर भी यहाँ उनका रहवास बना हुआ है, जैसे- उड़न गिलहरी।
- बाघों की उपस्थिति और उनके प्रजनन क्षेत्र के रूप में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व प्रसिद्ध है। यह रिजर्व बाघों की अच्छी उपस्थिति वाले मध्य भारत के क्षेत्रों में से एक है।
- देश के बाघों की संख्या का 17 प्रतिशत और बाघ रहवास का 12 प्रतिशत क्षेत्र सतपुड़ा में आता है।
- सतपुड़ा टाइगर रिजर्व एक प्रकार से हिमालय और पश्चिमी घाट के बीच वन्य-जीव की उपस्थिति का सेतु बनाता है। यह मालाबार व्हिसलिंग थ्रश अर्थात कस्तूरा पक्षी, दूधराज, मालाबार पाइड हार्नबिल अर्थात धनेश पक्षी के लिये भी आदर्श रहवास है।