देवीधुरा में फल और फूलों से खेली गई रोमांच से भरी बग्वाल | 13 Aug 2022
चर्चा में क्यों?
12 अगस्त, 2022 को उत्तराखंड के चंपावत ज़िले में माँ वाराही के धाम देवीधुरा के खोलीखांड दुबाचौड़ मैदान में फल और फूलों से विश्वप्रसिद्ध बग्वाल मेला का आयोजन किया गया। चारखाम (चम्याल, गहड़वाल, लमगड़िया, वालिग) और सात थोक के योद्धा बग्वाल में शामिल हुए।
प्रमुख बिंदु
- चंपावत ज़िले के प्रसिद्ध देवीधुरा में ‘माँ वाराही मंदिर’में रक्षाबंधन के दिन होने वाले प्रसिद्ध बग्वाल मेले को ‘पत्थर मार’मेला भी कहा जाता है। इस मेले को देखने देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु देवीधुरा पहुँचते हैं।
- ऐसा माना जाता है कि देवीधुरा में बग्वाल का यह खेल पौराणिक काल से चला आ रहा है। कुछ लोग इसे कत्यूर शासन से चला आ रहा पारंपरिक त्योहार मानते हैं, जबकि कुछ अन्य इसे काली कुमाऊँ से जोड़कर देखते हैं।
- प्रचलित मान्यताओं के अनुसार पौराणिक काल में चार खामों के लोगों द्वारा अपनी आराध्या वाराही देवी को मनाने के लिये नर बलि देने की प्रथा थी। माँ वाराही को प्रसन्न करने के लिये चारों खामों के लोगों में से हर साल एक नर बलि दी जाती थी। बताया जाता है कि एक साल चमियाल खाम की एक वृद्धा के परिवार की नर बलि की बारी थी। परिवार में वृद्धा और उसका पौत्र ही जीवित थे। महिला ने अपने पौत्र की रक्षा के लिये माँ वाराही की स्तुति की। माँ वाराही ने वृद्धा को दर्शन दिये और मंदिर परिसर में चार खामों के बीच बग्वाल खेलने के निर्देश दिये, तब से बग्वाल की प्रथा शुरू हुई।
- चंपावत जनपद के पाटी ब्लॉक के देवीधुरा में माँ वाराही धाम मंदिर के खोलीखांड दुबाचौड़ में हर साल अषाढ़ी कौथिक (रक्षाबंधन) के दिन बग्वाल मेला होता है। पत्थर से शुरू यह बग्वाल मेला बीते कुछ वर्षों से फल-फूलों से खेला जा रहा है। लाखों लोगों की मौजूदगी में होने वाले बग्वाल मेले में चार खामों (चम्याल, गहरवाल, लमगड़िया और वालिग) के अलावा सात थोकों के योद्धा फर्रों के साथ हिस्सा लेते हैं।
- बग्वाल वाराही मंदिर के प्रांगण खोलीखांड में खेला जाता है। इसे चारों खामों के युवक और बुजुर्ग मिलकर खेलते हैं। लमगड़िया व वालिग खामों के रणबाँकुरे एक तरफ, जबकि दूसरी ओर गहड़वाल और चम्याल खाम के रणबाँकुरे डटे रहते हैं।
- गौरतलब है कि 11 जुलाई, 2022 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत के प्रसिद्ध देवीधुरा ‘माँ वाराही बग्वाल मेले’को राजकीय मेला घोषित किया था।