पिछड़े और अति पिछड़े क्षेत्रों में पी.पी.पी. मॉडल से संचालित होंगे कॉलेज | 19 Oct 2022
चर्चा में क्यों?
18 अक्टूबर, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश के पिछड़े, अति पिछड़े और सुदूर व दुर्गम क्षेत्रों में अब पी.पी.पी. मॉडल में कॉलेजों का संचालन किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में पी.पी.पी. मॉडल पर प्रारंभ किये जाने वाले महाविद्यालय प्रदेश के लिये एक नवाचार है। प्रस्तावित पी.पी.पी. मॉडल में यह व्यवस्था प्रारंभ से ही निजी महाविद्यालयों को दी जाएगी। पूर्व में इस प्रकार की कोई योजना लागू नहीं की गई है और न ही कोई निजी महाविद्यालय इस योजना में दी गई व्यवस्था के तहत संचालित हो रहे हैं।
- गौरतलब है कि मध्य प्रदेश अशासकीय महाविद्यालय और संस्था (स्थापना एवं विनियमन) अधिनियम के तहत प्रदेश में कुल 12 निजी महाविद्यालयों को शत्-प्रतिशत् नियमित अनुदान के तहत संचालित किया जा रहा है।
- छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के पश्चात् चार निजी महाविद्यालयों को छत्तीसगढ़ अशासकीय महाविद्यालय और संस्था (स्थापना एवं विनियमन) अधिनियम, 2006 के तहत कैबिनेट की मंज़ूरी के बाद 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त इस अधिनियम के तहत तीन वर्ष में एक बार तदर्थ अनुदान अधिकतम पाँच लाख रुपए तक भवन विस्तार, फर्नीचर, उपकरण क्रय के लिये दिया जा सकता है। आवेदन के आधार पर अनुदान की स्वीकृति दी जाती है।
- अब तक छत्तीसगढ़ अशासकीय महाविद्यालय और संस्था (स्थापना एवं विनियमन) अधिनियम, 2006 के आधार पर उपर्युक्त अनुदान केवल उन्हीं निजी महाविद्यालयों को प्रदान किया जाता है, जिनका संचालन न्यूनतम 10 वर्ष पूर्ण हो चुका है, लेकिन प्रस्तावित पी.पी.पी. मॉडल में यह व्यवस्था प्रारंभ से ही निजी महाविद्यालयों को दी जाएगी। इससे अति पिछड़े एवं सुदूर क्षेत्रों में प्रतिकूल स्थिति से उभरने के लिये तथा उच्च शिक्षा के सर्वांगीण विकास में पी.पी.पी. मॉडल का क्रियान्वयन करने के लिये इस मॉडल को प्रस्तावित किया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार का विज़न है कि दुर्गम क्षेत्रों में भी छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त हो सके।
- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में 17 अक्टूबर को हुई कैबिनेट की बैठक में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राज्य के सकल प्रवेश अनुपात को बढ़ाने और राज्य के पिछड़े एवं अति पिछड़े क्षेत्र के युवाओं को गुणवत्तामूलक शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु पी.पी.पी. मॉडल के तहत राज्य में उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना करने के प्रस्तावित प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
- इसमें निर्धारित प्रारूप के तहत निजी महाविद्यालयों को दी जाने वाली रियायतों में पी.पी.पी. मॉडल के तहत खोले जाने वाले महाविद्यालयों को दी जाने वाली निश्चित पूंजी निवेश पर अधिकतम सब्सिडी 2.50 करोड़ रुपए एवं 1.75 करोड़ रुपए सब्सिडी क्रमश: अति पिछड़ा क्षेत्र एवं पिछड़ा क्षेत्र में स्थापित महाविद्यालयों को दी जाएगी।
- इसी तरह कम-से-कम 10 एकड़ भूमि 30 वर्ष की लीज़ पर 50 प्रतिशत रियायती दर से शासन द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। भूमि का उपयोग अन्य प्रयोजनों के लिये नहीं किया जाएगा। लीज़ की अवधि की समाप्ति होने पर दोनों पक्षों की सहमति से लीज़ की अवधि को बढ़ाया जा सकता है।
- अधोसंरचना निर्माण के लिये लिये गए अधिकतम 500 करोड़ रुपए के ऋण पर ब्याज की राशि का 50 प्रतिशत भुगतान शासन द्वारा किया जाएगा। समस्त पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत् विद्यार्थियों को राज्य शासन द्वारा देय छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी। महाविद्यालय को समस्त शैक्षणिक स्टाफ एवं कर्मचारियों की वेतन व्यवस्था स्वयं के द्वारा करनी होगी। राज्य शासन द्वारा इस प्रयोजन के लिये कुल स्थापना पर व्यय की अधिकतम राशि 2 करोड़ रुपए पर 20 प्रतिशत एवं 30 प्रतिशत व्यय भार क्रमश: पिछड़ा क्षेत्र एवं अति पिछड़ा क्षेत्र में स्थापित महाविद्यालय को स्थापना अनुदान के रूप में दिया जाएगा।
- वहीं NAAC द्वारा A++, A+ या A ग्रेड प्राप्त करने वाले महाविद्यालयों को 1 लाख 51 हज़ार रुपए प्रोत्साहन राशि एवं प्रमाण-पत्र राज्य शासन द्वारा प्रदान किया जाएगा। पी.पी.पी. मॉडल के तहत खोली जाने वाली उच्च शिक्षण संस्थाओं को NAAC/NIRF गुणवत्ता प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिये देय शुल्क की 50 प्रतिशत या अधिकतम 3 लाख रुपए (जो भी कम हो) राशि का वहन राज्य शासन द्वारा किया जाएगा।
- प्रस्तावित योजना उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राज्य के सकल प्रवेश अनुपात (GER) की वृद्धि में सहायक होगी। साथ ही राज्य के पिछड़े क्षेत्र एवं अति पिछड़े क्षेत्र के युवाओं को गुणवत्तामूलक शिक्षा की सुविधा उपलब्ध होगी। उपर्युक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिये इस योजना को प्रदेश में लागू किये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।