लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



State PCS Current Affairs

उत्तर प्रदेश

आईएमएस बीएचयू ने तैयार किया हर्बल एंटीबायोटिक

  • 29 Jun 2023
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

28 जून, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के बनारस स्थित बीएचयू के आईएमएस के आयुर्वेद संकाय ने गंभीर संक्रमण में रक्षा के लिये बेअसर रही एंटीबायोटिक के स्थान पर हर्बल एंटीबायोटिक तैयार की है।  

प्रमुख बिंदु  

  • बीएचयू के आयुर्वेद संकाय के रसशास्त्र और भैषज्यकल्पना विभाग में प्रो. आनंद चौधरी के साथ डॉ. प्रिया मोहन के नेतृत्व में पूरी टीम ने हर्बल एंटीबायोटिक तैयार की है।  
  • माइक्रो बायोलॉजी विभाग के लैब में जीवाणु पर इसका ट्रायल किया जा चुका है। ‘ग्राम निगेटिव’जीवाणु पर यह ज्यादा असरदार रहा है। इसके बाद दो चरण का अभी ट्रायल बाकी है। अगर इसमें कामयाबी मिलती है तो पूरी दुनिया के लिये हर्बल एंटीबायोटिक संजीवनी साबित होगी।  
  • बीएचयू के माइक्रोबायोलाजी लैब में दो तरह के जीवाणु को इसमें लिया गया है। ग्राम पॉजिटिव (मोटी कोशिका) और ग्राम निगेटिव (पतली कोशिका) पर इसका अलग-अलग असर देखा गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि ग्राम निगेटिव पर ज्यादा असर हुआ।  
  • दरसअल ग्राम-निगेटिव बैक्टीरिया एंटीबॉडी के प्रति अधिक प्रतिरोधी होते हैं। हर्बल औषधियों के इस पर असर होने से बड़ी उम्मीद जगी है।   
  • विदित है कि चांदी के सिलोरेक को एंटीबायोटिक माना जाता है। हर्बल एंटीबायोटिक में चांदी के भस्म के अलावा नीम, वट, गिलोय, कृष्ण तुलसी हैं।  
  • प्रो. आनंद चौधरी ने बताया कि अभी इसमें दो चरण में काम किया जाएगा। उम्मीद है कि एक साल में इसको फाइनल टचअप दिया जा सकेगा। इसके बाद पेटेंट के लिये पेटेंट फैसिलिटिंग सेंटर (पीएफसी) को भेजा जाएगा।   
  • वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि साँस नली से जुड़े इन्फेक्शन, सर्दी-जुकाम, गले में खराश, साइनस, निमोनिया के साथ ही कान, छाती दर्द की समस्या होने पर लोग खुद से इलाज शुरू कर देते हैं। लोग मेडिकल स्टोर से एंटीबायोटिक गोलियाँ लेकर निगल लेते हैं। वे यह नहीं जानते कि उनकी तबीयत वायरस की वजह से खराब हुई है, जो अपना समय लेकर ही ठीक होगी। 
  • वायरल इँफेक्शन में एंटीबायोटिक्स खाने पर यह दवा ‘जहर’का काम करती है। शरीर में इँफेक्शन से लड़ने वाले गुड बैक्टीरिया को भी नष्ट कर देती है। इससे खतरनाक बैक्टीरिया को शरीर पर हावी होने का मौका मिल जाता है। साथ ही, बैड बैक्टीरिया एंटीबायोटिक्स से बचने के लिये तैयार हो जाता है। फिर उस पर दवाओं का असर नहीं होता।  
  • आईएमएस बीएचयू के मेडिसिन विभाग के प्रो. धीरज किशोर के अनुसार बैक्टीरियल इंफेक्शन के इलाज में एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है। एंटीबायोटिक दो शब्दों ‘एंटी’और ‘बायोस’से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है ‘एंटी लाइफ।  
  • यानी ये दवाएँ बैक्टीरिया को नष्ट कर, उन्हें बढ़ने से रोकती हैं, लेकिन हर बीमारी की वजह बैक्टीरिया नहीं होते। ऐसे में लोग बीमार होने पर खुद से दवा लेते हैं। और ग्रामीण इलाके में झोलाछाप भी वायरल इंफेक्शन में एंटीबायोटिक दे देते हैं, जो कि पूरी तरह गलत है।  
  • कुछ महत्त्वपूर्ण जानकारी-  
    • मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’के अनुसार, 2019 में एंटीबायोटिक का असर कम होने से दुनिया में 12.70 लाख मौतें हुईं। 
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस वैश्विक स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और विकास के लिये सबसे बड़े खतरों में से एक है।  
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार निमोनिया, टीबी और साल्मोनेलोसिस जैसे संक्रमणों की बढ़ती संख्या का इलाज करना कठिन होता जा रहा है क्योंकि उनके इलाज के लिये इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक कम प्रभावी हो जाती है।  
    • भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने दावा किया है कि भारत में इसमें सुधार के लिये जल्द ही कदम नहीं उठाए गए तो एंटी माइक्रोबियल रजिस्टेंस निकट भविष्य में एक महामारी का रूप ले सकता है। हर साल पाँच से 10 प्रतिशत की दर से यह रेजिस्टेंस बढ़ रहा है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2