हरियाणा
झज्जर ज़िला के बाढ़सा में 50 एकड़ में खुलेगा आईआईटी दिल्ली का एक्सटेंशन कैंपस
- 22 Nov 2022
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चर्चा में क्यों?
20 नवंबर, 2022 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दिल्ली में हरियाणा भवन में आईआईटी दिल्ली के अधिकारियों के साथ बैठक में बताया कि राज्य के झज्जर ज़िला के गाँव बाढ़सा में लगभग 50 एकड़ भूमि पर आईआईटी दिल्ली का एक्सटेंशन सेंटर स्थापित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री ने बताया कि बाढ़सा में स्थित राष्ट्रीय कैंसर संस्थान से मिलने वाले मरीज़ों के डाटा और स्वास्थ्य विज्ञान का आईआईटी दिल्ली की टेक्नोलॉजी के समावेश से नई हेल्थ केयर प्रौद्योगिकियाँ विकसित होंगी। इससे मरीज़ों के साथ-साथ खिलाड़ियों को भी लाभ मिलेगा।
- इस कैंपस में एमएससी, पीएचडी के अलावा विभिन्न प्रकार के सर्टिफिकेट कोर्स भी करवाए जाएंगे। इन विशेष कोर्सों और ट्रेनिंग प्रोग्राम से युवाओं की स्किलिंग होगी तथा स्थानीय युवाओं के लिये विभिन्न प्रकार के रोज़गार के अवसर भी सृजित होंगे।
- उन्होंने बताया कि यह कैंपस भारत का प्रेसीजन मेडिसिन, अर्थात् मरीज़ विशेष को किस प्रकार की दवा की आवश्यकता है, अनुसंधान से वह दवा विकसित करने का भारत का पहला केंद्र बनेगा। इसके लिये मेडिकल विशेषज्ञों से मरीज़ की ज़रूरत का पता लगाकर बायोइंजीनियरिंग के सॉल्यूशन ढूंढे जाएंगे, जिससे फार्मा कंपनियों को लाभ होगा।
- मेडिकल विशेषज्ञ कैंसर मरीज़ों के लिये राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के चिकित्सा विशेषज्ञों और आईआईटी दिल्ली के तकनीकी विशेषज्ञों की रिसर्च के आधार पर नई दवा विकसित कर पाएंगे, जो मरीज़ों के इलाज के लिये अनुकूल होगी।
- मुख्यमंत्री ने बताया कि इस कैंपस में खिलाड़ियों को और बेहतर प्रदर्शन करने में मदद देने के लिये स्पोर्ट्स में बेहतर प्रदर्शन और चोटिल होने से बचाने की तकनीक भी विकसित की जाएगी। राज्य के खिलाड़ी पहले ही राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और जब उन्हें तकनीकी मदद मिलेगी तो वे और भी बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।
- यह तकनीक पैरालंपिक खिलाड़ियों के लिये बेहद उपयोगी सिद्ध होगी। खिलाड़ियों के लिये विकसित की जाने वाली तकनीक और रिसर्च को स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी राई (सोनीपत) के साथ तालमेल करके विकसित करने का सुझाव दिया, ताकि खिलाड़ी उसका ज़्यादा लाभ उठा सकें।
- इसके अलावा इस कैंपस में मेडिकल इमेजिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग से कैंसर के मरीज़ों के इलाज के लिये तकनीक विकसित होगी, जिससे कैंसर के टिशू के उद्गम स्थान का पता लगाया जा सकेगा और उसके बाद शरीर में कैंसर से ग्रस्त पूरे अंग को निकालने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। उदाहरण के तौर पर डेंटल इंप्लांट्स, बुजुर्गों में हिप प्रोटेक्शन डिवाइस लगाने, प्रोस्थेटिक घुटने के जॉइंट आदि।