आईआईटी कानपुर की रिसर्च में नारकोंडम द्वीप के पास मिले तेल और गैस के संकेत | 07 Dec 2023
चर्चा में क्यों?
6 दिसंबर, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार आईआईटी कानपुर के अर्थ साइंस विभाग के पीएचडी छात्र हर्षद श्रीवास्तव की रिसर्च में नारकोंडम द्वीप के पास तेल और गैस के संकेत मिले हैं।
प्रमुख बिंदु
- अंडमान निकोबार से 139 किमी. दूर स्थित नारकोंडम द्वीप के पास सेडीमेंटरी बेसिन में गैस और तेल होने के संकेत मिले हैं। बेसिन में 10 किमी. लंबी तरल परत मिली है, जिससे गैस और तेल मिलने की संभावना बढ़ गई है।
- दूसरे चरण की रिसर्च के बाद इस पर अंतिम मुहर लग जाएगी। अगर ऐसा होता है तो देश को आर्थिक मज़बूती मिलेगी।
- हर्षद् श्रीवास्तव का यह रिसर्च पेपर जर्मनी की पत्रिका जीओ-मरीन लेटर में अक्तूबर में प्रकाशित हुई है।
- आईआईटी के अर्थ साइंस विभाग के पीएचडी छात्र हर्षद् श्रीवास्तव ने विभाग के सहायक प्रोफेसर दीबाकर घोषाल के मार्गदर्शन में 2019 में रिसर्च शुरू की थी। रिसर्च को पूरा करने में करीब चार साल का समय लगा है।
- यह रिसर्च ओएनजीसी (ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन) की ओर से दिये गए डाटा का विश्लेषण कर निकाली गई है। दो चरणों में होने वाली इस रिसर्च का पहला चरण सफल रहा है। दूसरे चरण में तेल और गैस की पुष्टि हो जाएगी।
- मूल रूप से बलिया ज़िले के बिगाही बहुआरा निवासी हर्षद ने बताया कि नारकोंडम द्वीप प्रसुप्त द्वीप है। द्वीप से 30 किमी. दूरी पर स्थित समुद्र में 2डी सेस्मिक लाइन से परीक्षण किया गया। समुद्र की गहराई करीब 1.5 किमी. है। समुद्र की गहराई के बाद सी फ्लोर से 650 मीटर नीचे 20 मीटर चौड़ी और 10 किमी. ज्यादा लंबी तेल और गैस की कंबाइंड लेयर मिली है।
- हर्षद ने बताया कि ओएनजीसी से मिले सिस्मिक डाटा की मदद से इस रिसर्च को पूरा किया गया है। इस डाटा के लिये एयर गन और हाइड्रोफोन का उपयोग हुआ है। एयरगन के उपयोग से हाईप्रेशर बबल पानी की सेडीमेंटरी लेयर में भेजा गया जिसके प्रेशर को हाइड्रोफोन की मदद से रिकॉर्ड किया गया। यह डाटा कलेक्शन की तकनीक है।
- हर्षद ने बताया कि रिसर्च के दूसरे चरण से वेल लॉग डाटा विधि से तेल और गैस के होने की पुष्टि हो जाएगी। हालांकि वेल लॉग डाटा काफी महँगी प्रक्रिया है। एक वेल लॉग का खर्च करीब 200 करोड़ रुपए आएगा। इसमें मैनुअल काम होगा। पानी के अंदर पाइप डालकर गैस-तेल का पता लगाया जाता है।