उत्तराखंड
उत्तराखंड में बागवानी की पैदावार में गिरावट
- 31 May 2024
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चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड में वर्ष 2023 में, 44,882 हेक्टेयर कृषि भूमि चरम मौसम की घटनाओं के कारण नष्ट हो गई है। घटती कृषि संभावनाओं के कारण पहाड़ी इलाकों से मैदानी इलाकों की ओर बड़े पैमाने पर पलायन हुआ है, जिससे बागवानी उत्पादन के लिये समर्पित क्षेत्र में कमी आने की संभावना है।
प्रमुख बिंदु:
- उत्तराखंड में बागवानी उत्पादन के क्षेत्र में कमी के कारण भी प्रमुख फलों की पैदावार में भी वर्ष 2016-17 और 2022-23 के दौरान उल्लेखनीय बदलाव देखे गए हैं
- अमरूद और करौंदे की खेती में वृद्धि से पता चलता है कि अब बाज़ार की मांग या स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप फलों की किस्मों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। उत्तराखंड की बागवानी फसल पर ग्लोबल वार्मिंग के महत्त्वपूर्ण प्रभाव के कारण पिछले 7 वर्षों में प्रमुख फलों जैसे उच्च गुणवत्ता वाले सेबों, नाशपाती, आड़ू, आलूबुखारा और खूबानी के उत्पादन में ज़बरदस्त गिरावट आई है
- उत्तराखंड में भारी वर्षा, बाढ़, ओलावृष्टि और भूस्खलन जैसी आपदाएँ लगातार आती रही हैं, जिससे कृषि भूमि तथा फसलों को भारी नुकसान पहुँचा है।
- बढ़ते तापमान के कारण शीतकालीन फलों की खेती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जिससे किसान उष्णकटिबंधीय विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं। जो बदलती जलवायु परिस्थितियों के लिये बेहतर रूप से अनुकूल हैं ।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के अनुसार, तापमान में अल्पकालिक परिवर्तनशीलता और रुझान चिंताजनक हैं तथा मौसम के बदलावों में दीर्घकालिक रुझान एवं उपज के साथ इसके संबंध का अध्ययन करने की आवश्यकता है, विशेष रूप से, फसल/फसल प्रारूप में किसी भी प्रकार के बदलाव या फसल/फसल प्रारूप में बदलाव के साथ इसके संबंध का अध्ययन करने की आवश्यकता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)
- इसकी स्थापना 16 जुलाई 1929 को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में की गई थी।
- यह भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा विभाग (DARE) के तहत एक स्वायत्त संगठन है
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। देश भर में फैले 102 ICAR संस्थानों और 71 कृषि विश्वविद्यालयों के साथ यह दुनिया की सबसे बड़ी राष्ट्रीय कृषि प्रणालियों में से एक है
- यह पूरे देश में बागवानी, मत्स्य पालन और पशु विज्ञान सहित कृषि में अनुसंधान तथा शिक्षा के समन्वय, मार्गदर्शन एवं प्रबंधन के लिये सर्वोच्च निकाय है।