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बिहार

बिहार में वज्रपात से बचाने को लगेगा हूटर

  • 12 Nov 2022
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

11 नवंबर, 2022 को बिहार राज्य आपदा प्राधिकरण के आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्राधिकरण ने वज्रपात से लोगों को बचाने के लिये सभी ज़िलों में हूटर लगाने का निर्णय लिया है, ताकि लोगों को 40 मिनट पहले वज्रपात की जानकारी मिल सके।

प्रमुख बिंदु 

  • आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस हूटर का इस्तेमाल औरंगाबाद, पटना व गया ज़िले में होगा। जनवरी तक इसे आरंभ किया जाएगा।
  • अभी इंद्रवज्र ऐप से ठनका गिरने की सूचना 30 मिनट पहले दी जाती है। इस ऐप को सवा लाख से अधिक लोगों ने डाउनलोड किया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में परेशानी दूर नहीं हो रही है। खेतों में काम करने वाले किसानों के पास मोबाइल उपलब्ध नहीं होने के कारण उन्हें यह संदेश नहीं मिल पा रहा है। इस कारण प्राधिकरण ने गाँवों में हूटर लगाने का निर्णय लिया है।
  • प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि हूटर की आवाज़ पाँच किमी. तक जाएगी। ठनका गिरने के आधे घंटे पहले हूटर बजेगा। खेतों में काम करने वाले किसान भी इसकी आवाज़ सुनते ही सुरक्षित जगह पर चले जाएंगे।
  • इसके अलावा तड़ित चालक भी लगाया जाएगा, जिसकी शुरुआत की गई है। यह यंत्र सरकारी भवनों पर लगाया जाएगा और यह 130 मीटर के क्षेत्र में गिरने वाले ठनका को अपनी ओर खींच लेगा।
  • गौरतलब है कि बिहार में वज्रपात से हर साल कई लोगों की मृत्यु होती है। बिहार में वज्रपात की घटनाएं बढ़ने से मरने वालों की संख्या भी बढ़ी है। पिछले पाँच वर्षों में वज्रपात से 1475 लोगों की मौत हुई है।
  • जून, 2022 में जारी वार्षिक वज्रपात रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार बिहार बिजली गिरने के मामले में दसवें स्थान पर है। इस दौरान बिहार में वज्रपात की 2,59,266 घटनाएँ दर्ज हुईं, जो कि 2020-21 की तुलना में 23 फीसदी कम हैं। इससे पहले वर्ष 2018 में पूरे देश में वज्रपात से 3000 लोगों की मृत्यु हुई थी, जिनमें से 302 लोग बिहार के थे। वहीं 2019 में वज्रपात से मरने वालों की संख्या 221 रही।
  • बिहार में वज्रपात या किसी भी प्राकृतिक आपदा से मृत्यु होने पर मरने वाले लोगों के आश्रितों को सरकार की तरफ से अनुग्रह अनुदान राशि के रूप में चार लाख रुपए का भुगतान किया जाता है।
  • विदित है कि आकाश में मौजूद बादलों के घर्षण से एक बिजली उत्पन्न होती है, जिससे ऋणात्मक आवेश (Negative charge) उत्पन्न होता है। वहीं पृथ्वी में पहले से धनात्मक आवेश (Positive charge) मौजूद होता है। दोनों ऋणात्मक एवं धनात्मक आवेश एक-दूसरे की तरफ आकर्षित होते हैं। जब इन दोनों आवेशों के बीच में कोई संवाहक (Conductor) आता है तो इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज होता है, लेकिन आसमान में कोई संवाहक नहीं होता है तो यही इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज ठनका के रूप में धरती पर गिरती है। 
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