राजस्थान में हीटवेव का प्रकोप | 10 May 2024
चर्चा में क्यों?
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (Indian Meteorological Department- IMD) के मुताबिक, पश्चिम राजस्थान और केरल में हीटवेव का अलर्ट जारी किया गया है।
मुख्य बिंदु:
- बंगाल की खाड़ी से देश में तीव्र आर्द्रता का प्रवाह बढ़ रहा है, जिसके कारण आकाशीय बिजली के साथ-साथ तड़ित झंझा की गतिविधि भी बढ़ रही है।
- IMD के अनुसार, यदि अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम-से-कम 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक और पहाड़ी क्षेत्रों में कम-से-कम 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तक पहुँच जाता है, तो क्षेत्र हीटवेव से प्रभावित होता है।
- संक्षेप में, हीटवेव एक ऐसी स्थिति है जहाँ हवा का तापमान उच्च होने पर यह मानव स्वास्थ्य के लिये गंभीर खतरा उत्पन्न करता है।
हीटवेव के कारण
- ग्लोबल वार्मिंग:
- भारत में हीटवेव के प्राथमिक कारणों में से एक ग्लोबल वार्मिंग है, जो जीवाश्म ईंधन के दहन, निर्वनीकरण और औद्योगिक गतिविधियों जैसी मानवीय गतिविधियों के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में दीर्घकालिक वृद्धि को संदर्भित करता है।
- ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप उच्च तापमान और मौसम के पैटर्न में बदलाव हो सकता है, जिससे हीटवेव चल सकती है।
- शहरीकरण:
- तेज़ी से शहरीकरण और शहरों में कंक्रीट के वनों का विकास "नगरीय ऊष्मा द्वीप प्रभाव" के रूप में जानी जाने वाली घटना को उत्पन्न कर सकता है।
- उच्च जनसंख्या घनत्व वाले शहरी क्षेत्र, इमारतें और कंक्रीट की सतहें विशेषकर हीटवेव के दौरान अधिक ऊष्मा को अवशोषित करती हैं तथा इसे बरकरार रखती हैं, जिससे तापमान उच्च होता है।
- प्री-मॉनसून सीज़न में अपर्याप्त बारिश:
- कई क्षेत्रों में नमी कम होने से भारत का एक बड़ा हिस्सा शुष्क और बंजर हो गया है।
- भारत में एक असामान्य प्रवृत्ति, मानसून-पूर्व वर्षा ऋतु के आकस्मिक समाप्त होने से हीटवेव में वृद्धि हुई है।
- अल नीनो प्रभाव:
- अल नीनो प्रायः एशिया में तापमान बढ़ाता है, जो मौसम के पैटर्न के साथ मिलकर रिकॉर्ड उच्च तापमान बनाता है।
- दक्षिण अमेरिका से आने वाली व्यापारिक पवन आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान पश्चिम में एशिया की ओर चलती हैं लेकिन प्रशांत महासागर के गर्म होने से ये हवाएँ दुर्बल हो जाती हैं।
- इसलिये आर्द्रता और ऊष्मा की मात्रा सीमित हो जाती है तथा परिणामस्वरूप भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा में कमी एवं असमान वितरण होता है।