राजस्थान
द्वेषपूर्ण भाषण
- 24 Apr 2024
- 3 min read
चर्चा में क्यों?
निर्वाचन आयोग (EC) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राजस्थान की एक रैली में दिये गए भाषण के खिलाफ की गई शिकायत की जाँच कर रहा है।
मुख्य बिंदु:
- द्वेषपूर्ण भाषण/हेट स्पीच का परिचय:
- भारत के विधि आयोग की 267वीं रिपोर्ट में, हेट स्पीच को मुख्य रूप से नस्ल, जातीयता, लिंग, यौन अभिविन्यास, धार्मिक विश्वास और इसी तरह के आधार पर परिभाषित व्यक्तियों के एक समूह के खिलाफ घृणा को उकसाने वाला बताया गया है।
- यह निर्धारित करने के लिये कि भाषा अभद्र है या नहीं, भाषा का संदर्भ एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- यह घृणा, हिंसा, भेदभाव और असहिष्णुता को भड़काकर लक्षित व्यक्तियों तथा समूहों के साथ-साथ बड़े पैमाने पर समाज को नुकसान पहुँचा सकता है।
- भारत के विधि आयोग की 267वीं रिपोर्ट में, हेट स्पीच को मुख्य रूप से नस्ल, जातीयता, लिंग, यौन अभिविन्यास, धार्मिक विश्वास और इसी तरह के आधार पर परिभाषित व्यक्तियों के एक समूह के खिलाफ घृणा को उकसाने वाला बताया गया है।
- वाक् की स्वतंत्रता और हेट स्पीच:
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(a) सभी नागरिकों के लिये मौलिक अधिकार के रूप में वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
- अनुच्छेद 19(2) इस अधिकार पर उचित प्रतिबंध लगाता है, इसके उपयोग और दुरुपयोग को संतुलित करता है।
- संप्रभुता, अखंडता, सुरक्षा, अन्य राष्ट्रों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, गरिमा, नैतिकता, न्यायालय की अवमानना, मानहानि, या किसी अपराध को भड़काने के हित में प्रतिबंधों की अनुमति है।
भारत का विधि आयोग
- भारत का विधि आयोग एक गैर-सांविधिक निकाय है जिसका गठन विधि एवं न्याय मंत्रालय के तहत एक सरकारी अधिसूचना द्वारा किया जाता है।
- स्वतंत्र भारत के पहले विधि आयोग की स्थापना वर्ष 1955 में तीन वर्ष की अवधि के लिये की गई थी।
- पहला विधि आयोग वर्ष 1834 में ब्रिटिश शासन के दौरान चार्टर अधिनियम, 1833 द्वारा स्थापित किया गया था और इसकी अध्यक्षता लॉर्ड मैकाले ने की थी।
- यह विधि और न्याय मंत्रालय के लिये एक सलाहकार निकाय के रूप में काम करता है।
- विधि आयोग कानून में अनुसंधान करता है और भारत में मौजूदा कानूनों की समीक्षा करता है ताकि उनमें सुधार किया जा सके तथा केंद्र सरकार या स्वत: संज्ञान से दिये गए संदर्भ पर नए कानून बनाए जा सकें।