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हरियाणा की ऐतिहासिक नगरी ‘राखीगढ़ी’ को मिलेगी अंतर्राष्ट्रीय पहचान

  • 12 Sep 2022
  • 6 min read

चर्चा में क्यों? 

10 सितंबर, 2022 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राखीगढ़ी में निर्माणाधीन म्यूजियम भवन में इस क्षेत्र को पुरातत्त्व स्थल के रूप में विकसित करने के संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिये।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री ने भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के अधिकारियों को निर्देश दिये कि राखीगढ़ी में संरक्षित साइट की खुदाई के कार्य को तेज़ गति से पूरा किया जाए। साथ ही, इन ऐतिहासिक साइट्स की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाए, ताकि कोई व्यक्ति इन साइट्स को नुकसान न पहुँचा पाए।
  • सिंधु घाटी सभ्यता का ऐतिहासिक नगर ‘राखीगढ़ी’को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिये सरकार द्वारा राखीगढ़ी में म्यूजियम का निर्माण करवाया जा रहा है, जिसमें लगभग 5 हज़ार वर्ष पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता की कलाकृतियों को सहेज कर रखा जाएगा।
  • राखीगढ़ी के पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित होने से एक ओर जहाँ पर्यटन बढ़ेगा, वहीं हरियाणा के राजस्व में भी वृद्धि होगी और यहाँ पर्यटकों के आने से गाँव के युवाओं के लिये रोज़गार के अवसर भी सृजित होंगे।
  • राखीगढ़ी में बन रहे इस म्यूजियम में फोटोग्राफ्स लैब्स तैयार की गई है, जिसमें चित्रों के माध्यम से आगंतुक राखीगढ़ी के इतिहास को जान सकेंगे। इसके अलावा, म्यूजियम में किड्स ज़ोन भी बनाया गया है। पहली बार हरियाणा में किसी म्यूजियम में किड्स ज़ोन का निर्माण करवाया गया है, ताकि बच्चे भी खेल-खेल में अपने इतिहास से अवगत हो सकें।
  • इसके अलावा ओपन एयर थिएटर, गैलरी, पुस्तकालय का निर्माण भी करवाया गया है, जिससे आगंतुक, विशेषतौर पर युवा पीढ़ी को इतिहास की जानकारी मिलेगी।
  • गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने देश में पर्यटन स्थलों व पाँच ऐतिहासिक स्थल बनाने के लिये 2500 करोड़ रुपए की घोषणा की थी, उनमें राखीगढ़ी भी शामिल है। प्रदेश सरकार भी यहाँ 32 करोड़ रुपए की लागत से अत्याधुनिक संग्रहालय बना रही है। इसमें रेस्ट हाउस, हॉस्टल और एक कैफे का निर्माण किया जा रहा है।
  • उल्लेखनीय है कि राखीगढ़ी हरियाणा के हिसार ज़िले के नारनौंद उपमंडल में स्थित है। यहाँ राखीखास और राखीशाहपुर गाँवों के अलावा आसपास के खेतों में पुरातात्त्विक साक्ष्य फैले हुए हैं। राखीगढ़ी में सात टीले (आरजीआर-1 से लेकर आरजीआर-7) हैं। ये मिलकर बस्ती बनाते हैं, जो हड़प्पा सभ्यता की सबसे बड़ी बस्ती है।
  • भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इस गाँव में पहली बार 1963 में खुदाई शुरू की थी। इसके बाद 1998-2001 के बीच डॉ. अमरेंद्रनाथ के नेतृत्व में एएसआई ने फिर खुदाई शुरू की। बाद में पुणे के डेक्कन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वसंत शिंदे के नेतृत्व में 2013 से 2016 व 2022 में राखीगढ़ी में उत्खनन कार्य हुआ।
  • राखीगढ़ी में 1998 से लेकर अब तक 56 कंकाल मिले हैं। इनमें 36 की खोज प्रो. शिंदे ने की थी। टीला संख्या-7 की खुदाई में मिले दो महिलाओं के कंकाल करीब 7,000 साल पुराने हैं। दोनों कंकालों के हाथ में खोल (शैल) की चूड़ियाँ, एक तांबे का दर्पण और अर्ध कीमती पत्थरों के मनके भी मिले हैं। खोल की चूड़ियों की मौजूदगी से यह संभावना जताई जा रही है कि राखीगढ़ी के लोगों के दूरदराज के स्थानों के साथ व्यापारिक संबंध थे।
  • प्रो. शिंदे के अनुसार राखीगढ़ी में पाई गई सभ्यता करीब 5000-5500 ई.पू. की है, जबकि मोहनजोदड़ो में पाई गई सभ्यता का समय लगभग 4000 ई.पू. माना जाता है। मोहनजोदड़ो का क्षेत्र करीब 300 हेक्टेयर है, जबकि राखीगढ़ी 550 हेक्टेयर से ज़्यादा क्षेत्र में फैला है।
  • प्रो. शिंदे के अनुसार प्राचीन सभ्यता के साक्ष्यों को सँजोए राखीगढ़ी में मिले प्रमाण इस ओर भी इशारा करते हैं कि व्यापारिक लेन-देन के मामले में भी यह स्थल हड़प्पा और मोहनजोदड़ो से ज़्यादा समृद्ध था।
  • अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, गुजरात और राजस्थान से इसका व्यापारिक संबंध था। खासतौर पर आभूषण बनाने के लिये लोग यहाँ से कच्चा माल लाते थे, फिर इनके आभूषण बनाकर इन्हीं जगहों में बेचते थे। इस सभ्यता के लोग तांबा, कार्नेलियन, अगेट, सोने जैसी मूल्यवान धातुओं को पिघलाकर इनसे नक्शीदार मनके की माला बनाते थे। पत्थरों या धातुओं से जेवर बनाने के लिये भट्टियों का इस्तेमाल होता था। इस तरह की भट्टियाँ भारी मात्रा में मिली हैं। यहाँ मिले कंकालों का डीएनए परीक्षण चल रहा है।               
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