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हरियाणा मंत्रिमंडल ने ‘हरियाणा लैंड पूलिंग पॉलिसी-2022’ को दी मंज़ूरी

  • 01 Aug 2022
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

29 जुलाई, 2022 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में ‘हरियाणा लैंड पूलिंग पॉलिसी-2022’ को मंज़ूरी प्रदान की गई। यह नीति मुख्य शहरीकरण और औद्योगीकरण के उद्देश्यों के लिये लैंडबैंक बनाने हेतु एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

प्रमुख बिंदु 

  • नीति में विभिन्न चरणों में समय-सीमा निर्धारित की गई है, ताकि भूमि मालिकों के हितों की सुरक्षा की जा सके और समयबद्ध तरीके से भूमि विकास के उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके।
  • हरियाणा लैंड पूलिंग पॉलिसी-2022 का उद्देश्य बुनियादी ढाँचे के विकास सहित नियोजित विकास के उद्देश्य को प्राप्त करना और उक्त विकास में भागीदार बनने के इच्छुक भूमि मालिकों की स्वैच्छिक भागीदारी के माध्यम से भूमि प्राप्त करना है।
  • इस नीति का उद्देश्य हरियाणा अनुसूचित सड़क एवं नियंत्रित क्षेत्र प्रतिबंध के प्रावधानों के अनियमित विकास अधिनियम, 1963 के तहत राज्य सरकार द्वारा पब्लिशड डेवलपमेंट प्लान के निर्धारित क्षेत्र के भीतर एक सेक्टर या उसके हिस्से के विकास के लिये भूमि की पूलिंग हेतु एक निष्पक्ष और पारदर्शी तंत्र विकसित करना है।
  • इस नीति का एक अन्य उद्देश्य भूमि के आवंटन को रिक्त भूमि (रॉ लैंड) की लागत से जोड़कर भूमि मालिक को अधिकतम लाभ प्रदान करना है।
  • इस नीति के तहत हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) पब्लिशड डेवलपमेंट प्लान में शहरी क्षेत्र के भीतर स्थित क्षेत्रों के मामले में आवासीय, वाणिज्यिक, संस्थागत और बुनियादी ढाँचे का विकास करेगा।
  • इसके अलावा, हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एचएसआईआईडीसी) इस नीति के तहत हरियाणा में कहीं भी औद्योगिक बुनियादी ढाँचे या संस्थागत उद्देश्यों के लिये विकास कार्य करेगा।
  • इस नीति के तहत एचएसआईआईडीसी और एचएसवीपी के लिये उपरोक्त उद्देश्यों के अलावा राज्य सरकार द्वारा किसी भी विभाग या किसी बोर्ड, निगम या राज्य सरकार के स्वामित्व और नियंत्रण वाले अन्य संगठन को किसी भी निर्दिष्ट विकास उद्देश्य के लिये अधिकृत किया जा सकता है।
  • यह नीति निर्दिष्ट विकास उद्देश्य के लिये परियोजना हेतु भूमि की पेशकश करने वाले भूमि मालिकों पर लागू होगी। यह नीति उन एग्रीगेटर पर लागू होगी, जो निर्दिष्ट विकास उद्देश्य के लिये परियोजना हेतु भूमि की पेशकश करने के लिये कई भूमि मालिकों के साथ समझौते के तहत भूमि एकत्र करते हैं।
  • यह नीति विकास योजना में निर्दिष्ट भूमि उपयोग के अनुरूप भूमि के लिये लागू होगी। साथ ही, यह नीति हरियाणा में किसी अन्य क्षेत्र के संबंध में भी लागू होगी, जहाँ विकास का उद्देश्य बुनियादी ढाँचा या औद्योगिक विकास हो।
  • डेवलपपेंट ऑर्गेनाइज़ेशन द्वारा भू-स्वामियों को एक भूमि अधिकार प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा, जो ट्रेड या मोर्टगेज रखा जा सकता है।
  • इस नीति के तहत कोई भी भूमि मालिक, या तो सीधे या एक एग्रीगेटर के माध्यम से प्रकाशन में निर्दिष्ट अवधि, जोकि 60 दिनों से कम नहीं होगी, के भीतर विकास उद्देश्य के लिये परियोजना हेतु भूमि की पेशकश करने के लिये आवेदन जमा कर सकता है। इस अवधि को डेवलपमेंट ऑर्गेनाइज़ेशन द्वारा आवश्यकता अनुसार बढ़ाया भी जा सकता है, लेकिन यह 30 दिनों से अधिक नहीं होगी। आवेदन के लिये कोई शुल्क नहीं होगा।
  • भूमि मालिक परियोजना के लिये प्रस्तावित भूमि के विवरण के साथ डेवलपमेंट ऑर्गेनाइज़ेशन की वेबसाइट पर अपना आवेदन ऑनलाइन जमा करेंगे। मैन्युअल रूप से जमा किये गए किसी भी आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा और ऐसे आवेदन को खारिज कर दिया जाएगा।
  • विकास परियोजना के लिये योगदान करने वाले प्रत्येक भूस्वामी को वार्षिक अंतरिम वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, जिसे परियोजना की कुल लागत में शामिल किया जाएगा।
  • परियोजना की कुल लागत सभी भूस्वामियों द्वारा योगदान की गई अविकसित भूमि के मूल्य, विकास की लागत, अंतरिम वार्षिक सहायता और प्रशासनिक शुल्क का योग होगा।
  • भूमि मालिक, सीधे या एग्रीगेटर के माध्यम से, निर्दिष्ट विकास उद्देश्य के लिये परियोजना हेतु राज्य सरकार के ई-भूमि पोर्टल के माध्यम से अपने स्वामित्व वाली भूमि की पेशकश करने के लिये स्वतंत्र होगा। इस स्थिति में उक्त प्रस्ताव पर राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की 6 फरवरी, 2017 की नीति के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
  • यदि एग्रीगेटर के माध्यम से भूमि की पेशकश की जाती है, तो एग्रीगेटर भूस्वामियों और एग्रीगेटर के बीच सहमति के अनुसार पारिश्रमिक प्राप्त करने का पात्र होगा, बशर्ते कि पारिश्रमिक 0.5 प्रतिशत से कम न हो।
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