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हकृवि ने सरसों की एक और नई किस्म आरएच 1975 विकसित की

  • 26 Sep 2023
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

  • 25 सितंबर, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा के हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय (हकृवि) ने सरसों की एक और उन्नत किस्म आरएच 1975 विकसित की है।

प्रमुख बिंदु

  • यह किस्म सिंचित क्षेत्रों में समय पर बिजाई के लिये एक उत्तम किस्म है, जोकि मौजूदा किस्म आरएच 749 से लगभग 12 प्रतिशत अधिक पैदावार देगी।
  • विदित है कि हकृवि ने आरएच 749 किस्म वर्ष 2013 में विकसित की थी। अब दस वर्ष बाद सिंचित क्षेत्रों के लिये इस किस्म से बेहतर किस्म आरएच 1975 विकसित की गई है, जोकि अधिक उत्पादन के कारण किसानों के लिये बहुत लाभदायक सिद्ध होगी।
  • विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने बताया कि जम्मू में आयोजित 30वीं वार्षिक सरसों व राई कार्यशाला में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (फसल) डॉ. टीआर शर्मा की अध्यक्षता में गठित पहचान कमेटी द्वारा हाल में आरएच 1975 किस्म को सिंचित परिस्थिति में समय पर बिजाई के लिये चिह्नित किया गया है।
  • कुलपति ने कहा कि 11-12 क्विंटल प्रति एकड़ औसत उत्पादन तथा 14-15 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन क्षमता रखने वाली आरएच 1975 किस्म में लगभग 39.5 फीसद तेल की मात्रा है, जिसके कारण यह किस्म अन्य किस्मों की अपेक्षा किसानों के बीच अधिक लोकप्रिय होगी।
  • इससे तिलहन उत्पादन में वृद्धि के साथ किसानों की आर्थिक स्थिति को बल मिलेगा।
  • आरएच 1975 किस्म हरियाणा सहित पंजाब, दिल्ली, जम्मू व उत्तरी राजस्थान के सिंचित क्षेत्रों में बीजाई के लिये चिह्नित की गई है, इसलिये इन राज्यों के किसानों को इस किस्म का लाभ मिलेगा। किसानों को इस किस्म का बीज अगले साल तक उपलब्ध करवा दिया जाएगा।
  • उपरोक्त किस्मों से पहले वर्ष 2018 में विकसित की गई सरसों की किस्म आर.एच. 725 वर्तमान में किसानों के बीच सबसे अधिक प्रचलित व लोकप्रिय बन चुकी है, जोकि हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश में लगभग 20 से 25 प्रतिशत क्षेत्रों में अकेली उगाई जाने वाली किस्म है। यह किस्म औसत 10-12 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार देती है व इसकी उत्पादन क्षमता भी 14-15 क्विंटल प्रति एकड़ तक है।
  • अनुसंधान निदेशक डॉ. जीतराम शर्मा ने बताया कि इस किस्म को हकृवि के सरसों वैज्ञानिकों डॉ. राम अवतार, डॉ. नीरज, डॉ. मंजीत व डॉ. अशोक कुमार की टीम ने डॉ. राकेश पूनिया, डॉ. निशा कुमारी, डॉ. विनोद गोयल, डॉ. महावीर एवं डॉ. राजबीर सिंह के सहयोग से तैयार किया है।
  • उल्लेखनीय है कि गत वर्ष भी इस टीम ने सरसों की दो किस्में आर.एच. 1424 व आर.एच. 1706 विकसित की हैं। ये किस्में भी सरसों की उत्पादकता बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होंगी।
  • सरसों अनुसंधान में उत्कृष्ट कार्य करने के लिये इस टीम को हाल ही में जम्मू में आयोजित कार्यशाला में सर्वश्रेष्ठ केंद्र अवार्ड से भी नवाजा गया है।
  • ज्ञातव्य है कि हकृवि के सरसों केंद्र की देश के सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केंद्रों में गिनती होती है।

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