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उत्तर प्रदेश

हैदरपुर वेटलैंड

  • 11 Dec 2021
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैदरपुर वेटलैंड को देश का 47वाँ और उत्तर प्रदेश का 10वाँ तथा विश्व का 2463वाँ रामसर स्थल के रूप में मान्यता मिल गई है, जिसकी पुष्टि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने की है। 

प्रमुख बिंदु

  • हैदरपुर वेटलैंड गंगा और सोलानी नदी के बीच मुज़फ्फरनगर-बिज़नौर की सीमा पर 6908 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य का एक भाग है।
  • हैदरपुर वेटलैंड एक मानवनिर्मित झील है, जिसका निर्माण वर्ष 1984 में हुआ था। यहाँ की जैवविविधता पक्षियों को आकर्षित करती है। विदेशी पक्षी मंगोलिया की पहाड़ियों को पार करते हुए यहाँ पहुँचते हैं।
  • साथ ही डाल्फिन, कछुए, घड़ियाल, मगरमच्छ, तितलियों और हिरन आदि की यहाँ अनेक प्रजातियाँ विद्यमान हैं। यहाँ 30 से अधिक पेड़-पौधे की प्रजातियाँ हैं और 300 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ हैं, साथ ही 40 से ज़्यादा मछली प्रजातियाँ हैं और 102 से ज़्यादा जलपक्षी प्रजातियाँ हैं।
  • यहाँ शिकार पर प्रतिबंध लगा हुआ है, तथा अब रामसर साइट का दर्जा मिलने के बाद यहाँ पर संरक्षण के नियम और तौर -तरीके बदले जाएंगे।
  • गौरतलब है कि वर्ष 2018 में पहली बार यह क्षेत्र वन अफसरों की नज़र में आया था। दो साल पहले ही इसे रामसर साइट घोषित करने के लिये प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था। कोरोना महामारी के कारण पिछले साल रामसर कमेटी में इस प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हो सकी थी, लेकिन इस बार रामसर कमेटी में शामिल तमाम देशों ने हैदरपुर वेटलैंड को रामसर साइट घोषित करने पर मुहर लगा दी।
  • उल्लेखनीय  है कि ईरान के शहर रामसर में 2 फरवरी, 1971 को एक सम्मेलन हुआ था। इसमें शामिल देशों में वेटलैंड के संरक्षण से संबंधित एक समझौता हुआ और यह 21 दिसंबर, 1975 से प्रभाव में आ गया। 
  • रामसर समझौते के अनुसार, वेटलैंड ऐसा स्थान है, जहाँ वर्ष में कम-से-कम आठ माह पानी भरा रहता है और 200 से ज़्यादा प्रजातियों के पक्षियों की मौजूदगी रहती है।
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