गुरुग्राम में कचरा संकट | 14 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
गुरुग्राम नगर निगम द्वारा वर्ष 2024 के सर्वेक्षण में शहर में लगभग 100 अवैध डंपिंग स्थलों की पहचान की गई है, जिनमें गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड के साथ अरावली सबसे अधिक प्रभावित हैं।
- वर्ष 2024 में अपशिष्ट संकट की घोषणा करने के बावजूद, अधिकारी 2021 से एक समर्पित अपशिष्ट संग्रह एजेंसी नियुक्त करने में विफल रहे हैं।
मुख्य बिंदु
- मुद्दे के बारे में:
- लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान चर्चा के बावजूद अवैध डंपिंग का मुद्दा महत्त्वपूर्ण ध्यान आकर्षित करने में विफल रहा।
- स्थिति बिगड़ने के कारण अब स्थानीय नेता स्पष्ट समाधान की मांग कर रहे हैं।
- पर्यावरणविदों ने कार्रवाई की कमी की आलोचना करते हुए कहा कि गुरुग्राम एक विशाल कंक्रीट डंपयार्ड में बदल गया है।
- अनियंत्रित मलबा डंपिंग के कारण हरित पट्टी, खाली स्थान और सड़कें अवरुद्ध हो रही हैं, जिससे गंभीर जलभराव हो रहा है।
- अरावली पर्वत श्रेणी
- अरावली, पृथ्वी पर सबसे पुराना वलित पर्वत है। भूवैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि यह तीन अरब साल पुराना है।
- यह गुजरात से दिल्ली (राजस्थान और हरियाणा से होकर) तक 800 किमी. से अधिक तक फैला हुआ है।
- अरावली पर्वतमाला की सबसे ऊँची चोटी माउंट आबू पर स्थित गुरु शिखर है।
- जलवायु पर प्रभाव:
- अरावली पर्वतमाला का उत्तर-पश्चिम भारत और उससे आगे की जलवायु पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
- मानसून के दौरान, पर्वत शृंखला मानसून के बादलों को धीरे-धीरे पूर्व की ओर शिमला और नैनीताल की ओर ले जाती है, जिससे उप-हिमालयी नदियों तथा उत्तर भारतीय मैदानों को पोषण मिलता है।
- सर्दियों के महीनों के दौरान, यह सिंधु और गंगा की उपजाऊ जलोढ़ नदी घाटियों को मध्य एशिया से आने वाली कठोर ठंडी पश्चिमी हवाओं से बचाता है।