गुड़ी पड़वा | 10 Apr 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में लोगों ने हिंदू नववर्ष की शुरुआत के प्रतीक गुड़ी पड़वा के शुभ अवसर को खुशी और धार्मिक उत्साह के साथ मनाया।
मुख्य बिंदु:
- नौ दिवसीय चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को भी श्रद्धालु निकले:
- यह विक्रम संवत के नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है जिसे वैदिक [हिंदू] कैलेंडर के रूप में भी जाना जाता है।
- विक्रम संवत् उस दिन पर आधारित है जब सम्राट विक्रमादित्य ने शकों को हराया, उज्जैन पर आक्रमण किया और एक नए युग का आह्वान किया।
- उनकी देखरेख में, खगोलविदों ने चंद्र-सौर प्रणाली पर आधारित एक नया कैलेंडर बनाया जिसका पालन आज भी भारत के उत्तरी क्षेत्रों में किया जाता है।
- यह चैत्र (हिंदू कैलेंडर का पहला महीना) में चंद्रमा के बढ़ते चरण (जिसमें चंद्रमा का दृश्य भाग हर रात बड़ा होता जा रहा है) के दौरान पहला दिन है।
- यह चैत्र (हिंदू कैलेंडर का प्रथम महीना) में चंद्रमा के बढ़ते चरण/शुक्ल पक्ष (जिसमें चंद्रमा का दृश्य भाग हर रात बड़ा होता जा रहा है) के दौरान प्रथम दिन है।
गुड़ी पड़वा और उगादि
- तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के लोग नववर्ष को उगादी के रूप में मनाते हैं जबकि महाराष्ट्र तथा गोवा इस दिन का जश्न गुड़ी पड़वा के साथ मनाते हैं।
- दोनों त्योहारों/समारोहों में आम प्रथा है कि उत्सव में भोजन मीठे और कड़वे मिश्रण से तैयार किया जाता है।
- दक्षिण में बेवु-बेला नामक गुड़ (मीठा) और नीम (कड़वा) परोसा जाता है, जो यह दर्शाता है कि जीवन सुख तथा दुख का मिश्रण है।
- गुड़ी महाराष्ट्र के घरों में तैयार की जाने वाली एक गुड़िया है।
- गुड़ी बनाने के लिये बाँस की छड़ी को हरे या लाल ब्रोकेड से सजाया जाता है। इस गुड़ी को प्रमुख रूप से घर में या खिड़की/दरवाज़े के बाहर सभी को दिखाने के लिये से रखा जाता है।
- उगादि के लिये घरों में दरवाज़े आम के पत्तों से सजाए जाते हैं, जिन्हें कन्नड़ में तोरणालु या तोरण कहा जाता है।