ग्रीन लिंक्स स्पाइडर | 03 May 2024

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राजस्थान के ताल छापर में ग्रीन लिंक्स स्पाइडर पाई गई। मकड़ी की इस प्रजाति का नाम प्युसेटिया छपराजनिरविन (Peucetia chhaparajnirvin) रखा गया है।

मुख्य बिंदु:

  • यह मकड़ी चूरू ज़िले के ताल छापर वन्यजीव अभयारण्य में निर्मला कुमारी द्वारा फील्डवर्क के दौरान पाई गई थी।
  • एकत्रित नमूनों को राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर की कीट विज्ञान प्रयोगशाला में जमा कर दिया गया है।
  • इस प्रजाति की पहचान और वर्णन अमरावती ज़िले के जेडी पाटिल सांगलुडकर महाविद्यालय, दरियापुर में स्पाइडर रिसर्च लैब में किया गया था।
  • यह मकड़ी बबूल (Vachellia nilotica) पेड़ की हरी पत्तियों पर पाई जाती है। इनका हरा रंग परिवेश में अनुकूलित होने और शिकार पर घात लगाने में सहायता करता है, जबकि लंबे पैर इन्हें तेज़ी से आगे बढ़ने में सहायक होते हैं।
    • यह मकड़ी रात्रिचर होती है और छोटे-छोटे कीड़ों को खाती है। अभयारण्य क्षेत्र में जलवायु परिस्थितियाँ अत्यधिक गर्म होती हैं और अत्यधिक ठंडी होती हैं।
    • ये छोटी झाड़ियों और शाक पौधों में वृहद् रूप से पाए जाने वाले कीट, जो पौधों को नुकसान पहुँचाते हैं, का शिकार करते हैं तथा वन पारिस्थितिकी तंत्र में कीटों को नियंत्रित करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
    • ये मकड़ियाँ विभिन्न प्रकार के पतंगों जैसे बॉलवर्म कीट, लीफवर्म कीट, लूपर कीट और उनके लार्वा का शिकार करती हैं।

ताल छापर अभयारण्य

  • ताल छापर अभयारण्य भारतीय महा मरुस्थल की सीमा पर स्थित है।
  • यह अभयारण्य भारत में पाए जाने वाले सबसे सुंदर एंटीलोप "द ब्लैकबक" का एक विशिष्ट आश्रय स्थल है।
  • इसे वर्ष 1966 में अभयारण्य का दर्जा दिया गया था।
    • ताल छापर बीकानेर के पूर्व शाही परिवार का एक शिकार अभयारण्य था।
  • “ताल” शब्द राजस्थानी शब्द है जिसका अर्थ समतल भूमि होता है।
  • इस अभयारण्य में लगभग समतल क्षेत्र हैं जहाँ वर्षा जल उथले निचले इलाकों से बहता हुआ छोटे तालाबों में एकत्रित हो जाता है। यहाँ उगने वाले बबूल और प्रोसोपिस के पौधों के साथ खुले एवं विस्तृत घास के मैदान इसे एक विशिष्ट सवाना का रूप देते हैं।