उत्तर प्रदेश
नोएडा की तर्ज पर बसेगा ग्रेटर अलीगढ़
- 20 May 2023
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चर्चा में क्यों?
18 मई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले में खैर रोड पर बसने वाला ग्रेटर अलीगढ़ एनसीआर की तर्ज पर तैयार किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- इसके लिये लखनऊ की कंस्लटेंसी फर्म ने इंटीग्रेटेड हाउसिंग टाउनशिप की थ्रीडी डिजाइन व फोटोग्राफ्स तैयार किये हैं। अलीगढ़ विकास प्राधिकरण (एडीए) अलीगढ़-पलवल राष्ट्रीय राजमार्ग पर करीब 300 हेक्टेयर में आवासीय योजना लेकर आया है।
- विदित है कि बीते दिनों कमिश्नर की अध्यक्षता में हुई बोर्ड बैठक में टाउनशिप के लिये हरी झंडी मिल चुकी है। एडीए खैर रोड पर ग्राम मूसेपुर करीब जिरौली, जिरौली डोर, अटलपुर, अहमदाबाद, जतनपुर चिकावटी, रुस्तमपुर अखन व ल्हौसरा बिसावन में ज़मीन जुटाएगा।
- यह पूरा क्षेत्र केंद्र व प्रदेश सरकार की तमाम योजनाओं को लेकर प्राथमिकता में शामिल है। इसी रोड पर डिफेंस कॉरीडोर, राजा महेंद्र प्रताप सिंह स्टेट यूनिवर्सिटी आदि प्रोजेक्ट बन रहे हैं।
- वहीं, दिल्ली-एनसीआर के लिये अलीगढ़ को यह हाईवे जोड़ता है। जेवर एयरपोर्ट की कनेक्विटी के लिये भी यही मार्ग मुख्य है। इन तमाम वजहों के चलते एडीए की हाउसिंग टाउनशिप काफी महत्त्वपूर्ण रहेगी।
- टाउनशिप के लिये एडीए द्वारा लखनऊ की फर्म से डिजाइन आदि तैयार कराई गई है। एडीए के मुताबिक ग्रेटर अलीगढ़ सेक्टरों में विभाजित होगा। वहीं अलग-अलग श्रेणियों के फ्लैटों के टावर बनेंगे।
- अलीगढ़ विकास प्राधिकरण प्रदेश भर में लैंड पूलिंग योजना लागू करने वाला पहला ज़िला बन गया है। ट्रांसपोर्ट नगर योजना में नौ किसानों से कुल 10 हेक्टेयर भूमि इस योजना के तहत ली गई है। इससे पहले मथुरा और लखनऊ विकास प्राधिकरण ने भी लैंड पूलिंग का प्रस्ताव तैयार किया था लेकिन इन विकास प्राधिकरण में संबंधित ज़मीनों का भू उपयोग परिर्वतन न होने के चलते मामला शासन में अटक गया।
- विदित है कि प्रदेश सरकार ने फरवरी 2019 में औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में लैंड पूलिंग नीति लागू करने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके तहत भू स्वामी को पाँच साल तक प्रति एकड़ पाँच हज़ार रुपए दिलाने के साथ ही 25 प्रतिशत क्षेत्रफल भी वापस करने का नियम तय हुआ।
- प्रत्येक भू-स्वामी को उसके द्वारा दी गई भूमि की विकसित भूमि का आनुपातिक हिस्सा लाटरी के माध्यम से नि:शुल्क आवंटित किया जाएगा। इसके आंतरिक व वाह्य विकास के लिये भू-स्वामियों को कोई शुल्क नहीं देना होगा।