हरियाणा
ऐतिहासिक कर्ण कोट टीले से मिला महाभारतकालीन ग्रेवयार्ड ऑब्जेक्ट
- 02 Aug 2023
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चर्चा में क्यों?
1 अगस्त, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा के फतेहाबाद ज़िले के भूना के गांव भट्टू के ऐतिहासिक कर्ण कोट टीले से महाभारतकालीन ग्रेवियार्ड ऑब्जेक्ट मिला है। इस ऑब्जेक्ट से उस दौर में मिट्टी के बर्तनों व कपों को तराशा जाता था।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि हरियाणा में महाभारत काल के कर्णकोट टीले से वर्षा ऋतु में मिट्टी बहने से ऐतिहासिक महत्त्व की वस्तुएँ प्राप्त हो रही हैं। हाल ही में हुई बारिश के दौरान इस टीले से ग्रेवियार्ड ऑब्जेक्ट मिला है।
- यह पत्थर देखने में चीनी मिट्टी का बना हुआ है और शताब्दी बाद भी यह पत्थर का टुकड़ा अभी भी सुरक्षित है। हाल ही में हुई बारिश के बाद यह पत्थर का टुकड़ा मिट्टी से उभरकर सामने आया तो इस गांव के शोधकर्ता व सेफ्टी इंजीनियर अजय कुमार ने इसे अपने पास रख लिया और इसकी जानकारी पुरातत्त्व विभाग को दी।
- जो अवशेष मिला है, वो महाभारत काल के समय बर्तन बनाने के लिये प्रयोग होने वाले पदार्थ का एक चक्र है, जिसको ग्रेवियार्ड कहते हैं। ये चीनी मिट्टी की तरह का एक पदार्थ है, जो बहुत शानदार चमक और मज़बूती रखता है। इस ग्रेवियार्ड से महाभारत कालीन समय में बर्तन व कपों के सांचे तैयार किये जाते थे।
- इस टीले के शोधकर्ता व सेफ्टी इंजीनियर अजय कुमार ने बताया कि यह ग्रेवियार्ड अपने आप में अद्भुत है और महाभारतकालीन समय की उस बर्तन निर्माण पद्धति का परिचायक है, जिससे बर्तनों का निर्माण होता था।
- इसी टीले से मिट्टी की टेराकोटा की चूड़ी, जो हड़प्पा सभ्यता के समय की है और साथ ही हाथी दाँत से बनी चूड़ी के टुकड़े मिले हैं। इसके अलावा यहाँ पर हाथी दाँत की चूड़ियों के अवशेष भी मिले हैं। यहाँ पर हड़प्पा काल के शतरंज के पासे भी मिले हैं।
- गौरतलब है कि टोहाना हलके में स्थित भट्टू गांव अपने आप में इतिहास को संजोए हुए हैं। यहाँ पर महाभारत काल से लेकर एंग्लो-सिख युद्ध तक के प्रमाण मिल चुके हैं। जिसमें मराठा सिख और फ्राँसीसी सेनाओं की ब्रिटिश सेना से लड़ाई हुई थी और नेपोलियन बोनापार्ट की सेना में तोपची रहे लेफ्टिनेंट हैलिसन सिख सेनाओं के साथ यहाँ तैनात रहे थे।
- ये स्थल कितने ऐतिहासिक युद्धों का साक्षी रहा है और इन युद्धों में प्रयुक्त हथियार आज भी यहाँ से प्रतिदिन निकलते हैं, जिसमें तलवारें, तोपों के गोले और घुड़सवारों के अवशेष प्रमुख हैं।