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बिहार

राज्यपाल ने बिहार नगरपालिका संशोधन अध्यादेश को मंज़ूरी दी

  • 14 Jan 2022
  • 4 min read

चर्चा में क्यों? 

13 जनवरी, 2022 को बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने बिहार नगरपालिका (संशोधन) अध्यादेश, 2022 को मंज़ूरी दे दी अध्यादेश अधिसूचित कर नगर निकायों में महापौर-उपमहापौर या अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के निर्वाचन की नई प्रणाली लागू की गई है। 

प्रमुख बिंदु 

  • बिहार सरकार ने नगरपालिका अध्यादेश में संशोधन करते हुए प्रावधान किया है कि बिहार के प्रत्येक शहर की सरकार के प्रमुख एवं उप प्रमुख वहाँ के नगर निकाय की सीमा में रहने वाले मतदाताओं के वोट से निर्वाचित होंगे।
  • बिहार के सभी 19 नगर निगमों के महापौर-उपमहापौर तथा 89 परिषदों और 155 नगर पंचायतों के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के निर्वाचन के लिये इस प्रणाली को लागू किया गया है।
  • बिहार नगरपालिका (संशोधन) अध्यादेश, 2022 की गजट अधिसूचना जारी होने के साथ ही नगर निकायों में महापौर-उपमहापौर या अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के निर्वाचन की पुरानी प्रणाली समाप्त हो गई है।
  • उल्लेखनीय है कि अब तक नगर निकायों में महापौर-उपमहापौर वार्ड पार्षदों के बीच से ही चुने जाते थे। वार्ड पार्षदों के बहुमत से ही उन्हें हटाए जाने की व्यवस्था थी, लेकिन अब इन पदों पर बैठे व्यक्ति की मृत्यु, पदत्याग या बर्खास्तगी की स्थिति में बची हुई अवधि के लिये जनता के बीच से निर्वाचित व्यक्ति ही इन पदों को ग्रहण करेंगे।
  • वार्ड पार्षद महापौर-उपमहापौर या अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें बहुमत के आधार पर पद से हटा भी नहीं सकेंगे।
  • राज्य सरकार विधानसभा के अगले सत्र में बिहार नगरपालिका (संशोधन) अध्यादेश, 2022 को बिहार नगरपालिका (संशोधन) विधेयक के रूप में पेश करेगी, जो पारित होने के बाद बिहार नगरपालिका (संशोधन) अधिनियम, 2022 कहा जाएगा।
  • नगर निकायों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन जनता के प्रत्यक्ष निर्वाचन की रीति से कराने के लिये बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 की धारा 23 और धारा 25 में संशोधन किया गया है। दोनों धाराओं में महापौर-उपमहापौर या अध्यक्ष-उपाध्यक्ष को मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद के पदनाम से सूचित किया गया है।
  • धारा 23 की तीन उपधाराओं के माध्यम से मुख्य पार्षद और उपमुख्य पार्षद के आम निर्वाचन तथा वैकल्पिक परिस्थितियों में निर्वाचन की व्यवस्था दी गई है। इसी तरह धारा 25 की तीन उपधाराओं में संशोधन के माध्यम से दोनों पदों से बर्खास्तगी या पदत्याग की व्यवस्था दी गई है।
  • ज्ञातव्य है कि बिहार में सभी 263 नगर निकायों के चुनाव अप्रैल से जून के बीच प्रस्तावित हैं।
  • शहरी निकाय के जनप्रतिनिधियों को प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा चुने जाने से जनता के प्रति उनकी जवाबदेही सुनिश्चित होगी एवं शहरों के विकास हेतु चलाई जा रही महत्त्वाकांक्षी योजना और परियोजनाओं में गति आएगी।
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