उत्तराखंड
महाविद्यालयों को पाँच से 10 लाख रुपए पुरस्कार देगी सरकार
- 30 Oct 2023
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चर्चा में क्यों?
28 अक्तूबर, 2023 को उत्तराखंड राज्य शासन ने प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों को सरकार द्वारा पाँच से 10 लाख रुपए तक पुरस्कार देने के संबंध में आदेश जारी किया।
प्रमुख बिंदु
- नैक (राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद) मूल्यांकन को प्रोत्साहित करने एवं महाविद्यालयों के बीच सकारात्मक प्रतिस्पर्धा के लिये ग्रेडिंग के हिसाब से यह धनराशि दी जाएगी।
- आदेश में कहा गया है कि महाविद्यालयों को पुरस्कार के रूप में मिलने वाली इस धनराशि को उत्तराखंड राजकीय महाविद्यालय छात्रनिधि नियमावली 2020 में दी गई व्यवस्था के तहत ही खर्च किया जा सकेगा।
- पुरस्कार की राशि पिछले साल नैक मूल्यांकन कराने वाले महाविद्यालयों एवं भविष्य में नैक मूल्यांकन वाले महाविद्यालयों को मिलेगी। पुरस्कार के लिये नियमानुसार बजट में व्यवस्था की जाएगी।
- शासन के आदेश के मुताबिक महाविद्यालयों को विभाग के तहत गठित कॉर्पस फंड के माध्यम से यह धनराशि दी जाएगी। बी ग्रेड वाले महाविद्यालयों को पाँच लाख रुपए और ए डबल प्लस वाले महाविद्यालयों को पुरस्कार के रूप में 10 लाख रुपए की धनराशि दी जाएगी।
- इसके अलावा ए प्लस ग्रेड पर 9 लाख, एक ग्रेड पर आठ लाख, बी डबल प्लस पर सात और बी प्लस पर छह लाख रुपए पुरस्कार के रूप में मिलेंगे।
- उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अब तक प्रदेश के 27 महाविद्यालय नैक मूल्यांकन करा चुके हैं। वर्ष 2022-23 में 19 महाविद्यालयों ने नैक मूल्यांकन कराया है।
- नैक मूल्यांकन करा चुके प्रदेश के 27 राजकीय महाविद्यालयों में से किसी भी महाविद्यालय को ए या ए प्लस ग्रेड नहीं मिला है।
- नैक मूल्यांकन करा चुके महाविद्यालयों में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय डोईवाला, महाविद्यालय चौबट्टाखाल, टनकपुर, लोहाघाट, रानीखेत, द्वाराहाट, अगस्त्यमुनि, हल्द्वानी, रामनगर, पिथौरागढ़, काशीपुर, उत्तरकाशी, बेरीनाग, महिला महाविद्यालय हल्द्वानी, नरेंद्रनगर, कोटद्वार भाबर, रायपुर, चकराता, तलवाड़ी, कोटद्वार, पुरोला, त्यूनी, चंद्रबदनी, हल्दूचौड़, बड़कोट व राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कर्णप्रयाग शामिल हैं।
- गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने पिछले साल हुई विभाग की बैठक में सभी महाविद्यालयों के अनिवार्य रूप से नैक मूल्यांकन के निर्देश दिये थे। मंत्री का कहना था कि मार्च 2023 तक ऐसा न करने वाले अशासकीय महाविद्यालयों की मान्यता समाप्त की जाएगी, जबकि राजकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी।