गोयल साइंस पुरस्कार की घोषणा | 21 Sep 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने देश के चार विख्यात वैज्ञानिकों, प्रो. एन.के. मेहरा (एम्स, नई दिल्ली), प्रो. ए. अजयाघोष (सीएसआईआर, निस्ट, तिरुवनंतपुरम), प्रो. श्याम सुंदर (बीएचयू वाराणसी) एवं प्रो. रोहिनी गोडबोले (आईआईएससी, बंगलूरू) का चयन गोयल पुरस्कार के लिये किया है। प्रत्येक पुरस्कार में एक मेडल, प्रशस्ति-पत्र एवं दो लाख रुपए नकद शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
- कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति एवं चयन समिति के अध्यक्ष प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने बताया कि इन वैज्ञानिकों ने क्रमश: व्यावहारिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान एवं भौतिक विज्ञान में विशेष योगदान दिया है।
- प्रो. मेहरा ने ट्रांसप्लांट इम्यूनोलॉजी एवं इम्यूनो जेनेटिक्स के क्षेत्र में और प्रो. अजयाघोष ने बायोलॉजी में मैटीरियल केमिस्ट्री के उपयोग पर विशिष्ट काम किया है। इसके अलावा प्रो. श्याम सुंदर ने वाइसेरल लेशमैनियासिस (काला-अज़ार) यानी लीवर और बोन मैरो के उपचार के लिये मिल्टेफास्टिन दवा विकसित की है, जिसका उपयोग कई देश कर रहे हैं। वहीं पँश्री प्रो. रोहिनी गोडबोले ने हाई एनर्जी फिजिक्स में विशेष योगदान दिया है।
- यूनिवर्सिटी की ओर से दिये जाने वाले गोयल साइंस पुरस्कारों के 30 सालों के इतिहास में इस बार तीसरी महिला वैज्ञानिक प्रो. रोहिनी गोडबोले को गोयल पुरस्कार के लिये चयनित किया गया है।
- इससे पहले 1992 में पहली बार प्रदान किये गए गोयल साइंस पुरस्कार में पद्म विभूषण आशिमा चटर्जी को और 2019 में प्रो. लक्ष्मीकांत को गोयल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- चयन समिति के सह अध्यक्ष प्रो. एस.पी. सिंह ने बताया कि गोयल साइंस पुरस्कारों के 30 सालों के इतिहास में अब तक मेडिकल साइंस क्षेत्र से चार ही वैज्ञानिकों का चयन हो पाया है, जिनमें 1995 में एम्स के डॉ. वेणुगोपाल और 2003 में एम्स के ही डॉ. के.के. तलवार शामिल रहे। वहीं इस बार दो वैज्ञानिकों प्रो. एन.के. मेहरा और प्रो. श्याम सुंदर को मेडिकल साइंस के क्षेत्र में गोयल पुरस्कार दिये जाएंगे।
- गोयल साइंस पुरस्कार की स्थापना 1992 में अमेरिका में बसे भारतीय रामस्वरूप गोयल ने की थी। ये पुरस्कार अब तक सौ से अधिक प्रसिद्ध वैज्ञानिकों को दिया जा चुका है, जिनमें डॉ. सी.एन.आर. राव, डॉ. आर.ए. माशेलकर और डॉ. कस्तूरीरंगन आदि प्रमुख हैं।