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झारखंड

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने ‘गोधन न्याय योजना’ का किया शुभारंभ

  • 13 Jun 2023
  • 4 min read

चर्चा में क्यों 

12 जून, 2023 को झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने हेसाग स्थित पशुपालन विभाग के सभागार में ‘गोधन न्याय योजना’का शुभारंभ किया। योजना के प्रथम चरण में करीब 10 हजार किसान लाभान्वित होंगे।

प्रमुख बिंदु 

  • कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य के पाँच ज़िलों से गोधन न्याय योजना की शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में की जा रही है। इस प्रोजेक्ट की सफलता की समीक्षा के बाद पूरे राज्य में इसे चलाने की योजना बनाई जाएगी।
  • इस योजना का उद्देश्य झारखंड में उपलब्ध गोवंश के द्वारा उत्सर्जित गोबर का उपयोग वर्मी कंपोस्ट तैयार करते हुए कृषक की रासायनिक खादों पर निर्भरता को कम करने एवं कृषकों की आय में वृद्धि करना है।
  • विदित है कि गोवंश द्वारा उत्सर्जित गोबर कृषि के पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि ये मिटेी के जलधारण क्षमता को बढ़ाते हुए मिट्टी की जैविक मात्रा में वृद्धि करते हैं। गोबर को कृषि कार्यों में प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने के लिये एक प्रभावी प्रबंधन की ज़रूरत है, जो कृषकों के लिये लाभदायक होगा।
  • पूरे राज्य में उत्पादित गोबर को गोपालकों से क्रय कर वर्मी कंपोस्ट में परिवर्तित कर अनुदानित दर पर कृषकों को उपलब्ध कराने का ये पायलट प्रोजेक्ट है। प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्तमान समय में प्रत्येक प्रमंडल के एक ज़िला से की जा रही है।
  • कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य में ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद्य पदार्थों का उपयोग हो, राज्य के उत्पादों को जैविक की मान्यता मिले, इसके लिये एजेंसी और सेंटर बनाने की तैयारी सरकार कर रही है। 
  • वर्मी कंपोस्ट के लिए 10 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है।अगर यह सफल रहा, तो 100 करोड़ की योजना भी बनाई है जाएगी। इस योजना के तहत राज्य के किसानों को 8 रुपए किलो वर्मी कंपोस्ट उनके इलाके में ही उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही गोपालकों से 2 रुपए किलो गोबर सरकार लेगी और प्रसंस्करण के बाद किसानों को वर्मी कंपोस्ट के रूप में उपलब्ध कराएगी।
  • महालिंगा शिवाजी ऑर्गेनिक फार्मिंग अथॉरिटी ऑफ झारखंड के सीईओ महालिंगा शिवाजी ने कहा कि इस योजना से 504 लाख मीट्रिक टन उत्सर्जित गोबर की नाइट्रोजन के रूप में कन्वर्ट किया जा सकेगा और इस कन्वर्जन से राज्य को 22000 करोड़ रुपए की बचत हो सकती है।
  • साल 2019 के आर्थिक सर्वे के अनुसार राज्य में 12.57 मिलियन गोवंश हैं। एक अनुमान के तौर पर गोवंश के द्वारा 504 लाख टन गोबर का उत्सर्जन प्रति वर्ष किया जाता है।
  • गोधन न्याय योजना का लक्ष्य: पशुपालकों की आय में वृद्धि, पशुधन विचरण एवं खुली चराई पर रोक, जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा एवं रसायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना, स्थानीय स्तर पर जैविक खाद की उपलब्धता, स्थानीय स्वयं सहायता समूह/ बेरोज़गार युवकों को रोजगार के अवसर/गोशालाओं का सुदृढ़ीकरण, भूमि की उर्वरता को बढ़ाने में मदद एवं रासायनरहित खाद पदार्थों की उपलब्धता।

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