बकरी दूध विक्रय का शुभारंभ | 17 Nov 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी मंत्री प्रेमसिंह पटेल ने जनजातीय गौरव दिवस से बड़वानी के राज्यस्तरीय कार्यक्रम के दौरान बकरी दूध विक्रय का प्रदेश में शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- बकरी दूध विक्रय की शुरुआत जबलपुर और इंदौर के जनजाति बहुल ज़िलों से एकत्र दूध से की गई है। इंदौर संभाग के धार, झाबुआ, बड़वानी और जबलपुर संभाग के सिवनी, बालाघाट ज़िलों की जनजातियों से 50 से 70 रुपए प्रति किलो की दर से बकरी का दूध इंदौर एवं जबलपुर दुग्ध संघ द्वारा खरीदा जा रहा है।
- गौरतलब है कि बकरी का दूध पौरिुटक खनिज तत्त्वों से भरपूर होता है। कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, तांबा, ज़िंक आदि का उत्तम स्रोत होने से यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है।
- इसमें वसा के कण अन्य दूध की तुलना में छोटे होने से जल्दी एवं आसानी से पच जाता है। दैनिक अनुसंशित मूल्य का 33 प्रतिशत कैल्शियम शरीर को प्रदाय कर हडिड्यों के घनत्व को बढ़ाता है।
- बकरी के दूध में मध्यम श्रेणी का फैटी एसिड होने से यह शरीर को अधिक ऊर्जा देने के बावजूद चर्बी के रूप में जमा नहीं होता। इससे वज़न नियंत्रित रहता है। आँतों के विकार और कोरोनरी रोग के इलाज में भी सहायक है।
- बकरी का दूध शरीर में अच्छे कोलेस्टॉल के स्तर को बढ़ाकर खराब कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर नियंत्रित करता।
- बकरी का दूध चयापचय (मेटाबॉलिक) एजेंट होने से कॉपर और आयरन को भी मेटाबोलास कर सकता है। पाचन और कब्ज की समस्या तथा सूजन दूर करने में भी सहायक है। बकरी के दूध में उपलब्ध वसा एवं ट्राइग्लिसराइड्स मानव त्वचा में निखार लाते हैं। त्वचा को नर्म एवं स्वस्थ रखता है। इसमें मौजूद विटामिन-A चेहरे के कील-मुँहासे को दूर कर रंग में निखार लाता है।
- बकरी का दूध रक्त में प्लेटलेट्स को नियंत्रित कर डेंगू से सुरक्षा करता है। लेक्टोज इन्टोलरेंट लोगों के लिये बकरी का दूध एक अच्छा विकल्प है। जिन लोगों को दुग्ध शर्करा से एलर्जी है, उनके लिये बकरी का दूध अच्छा विकल्प है। बकरी के दूध में अधिकतर A&2 (Casien) नामक प्रोटीन होता है, जो एलर्जिक नहीं होता और कोलाइटिस, चिड़चिड़ापन एवं आंतों के सिंड्रोम आदि से सुरक्षा प्रदान करता है। बकरी का दूध अस्थिक्षय को भी रोकता है।