गिवअप अभियान | 24 Mar 2025

चर्चा में क्यों?

राजस्थान में ‘गिवअप अभियान’ के तहत 13 लाख से ज्यादा सक्षम लाभार्थियों ने स्वेच्छा से खाद्य सुरक्षा योजना से अपना नाम हटाया, जिससे सरकार पर 246 करोड़ रुपये का वित्तीय भार कम हुआ।

मुख्य बिंदु

  • गिवअप अभियान के बारे में:
    • राजस्थान सरकार द्वारा ‘गिवअप अभियान’ की शुरुआत नवंबर 2024 में की गई थी, जिसका उद्देश्य सक्षम एवं अपात्र लोगों को खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ स्वेच्छा से छोड़ने के लिये प्रेरित करना था। 
    • यह अभियान उन लोगों को लक्षित करता है जो गरीबी रेखा से ऊपर उठ चुके हैं और अब इस योजना की पात्रता नहीं रखते।
    • अब तक इस अभियान के तहत 13 लाख 58 हज़ार 498 लोगों ने स्वेच्छा से खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ छोड़ दिया है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (NFSA): यह खाद्य सुरक्षा के प्रति दृष्टिकोण में एक आमूलचूल परिवर्तन को इंगित करता है जहाँ अब यह कल्याण (welfare) के बजाए अधिकार-आधारित दृष्टिकोण (rights-based approach) में बदल गया है।
    • NFSA निम्नलिखित माध्यमों से ग्रामीण आबादी के 75% और शहरी आबादी के 50% को दायरे में लेता है:
      • अंत्योदय अन्न योजना: इसमें निर्धनतम आबादी को दायरे में लिया गया है जो प्रति परिवार प्रति माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्राप्त करने के हकदार हैं।
      • प्राथमिकता वाले परिवार (Priority Households- PHH):PHH श्रेणी के अंतर्गत शामिल परिवार प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न प्राप्त करने के हकदार हैं।
  • NFSA निम्नलिखित माध्यमों से ग्रामीण आबादी के 75% और शहरी आबादी के 50% को दायरे में लेता है:
    • राशन कार्ड जारी करने के मामले में परिवार की 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की सबसे बड़ी आयु की महिला का घर की मुखिया होना अनिवार्य किया गया है।
    • इसके अलावा, अधिनियम में 6 माह से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये विशेष प्रावधान किया गया है, जहाँ उन्हें एकीकृत बाल विकास सेवा (Integrated Child Development Services- ICDS) केंद्रों (जिन्हें आंँगनवाड़ी केंद्रों के रूप में भी जाना जाता है) के व्यापक नेटवर्क के माध्यम से निःशुल्क पौष्टिक आहार प्रदान करना सुनिश्चित किया गया है

अंत्‍योदय अन्‍न योजना

  • ‘अंत्योदय अन्न योजना’ की शुरुआत दिसंबर 2000 में की गई थी।
  • इस योजना का उद्देश्य ‘गरीबी रेखा’ से नीचे रह रही आबादी की खाद्यान्न की कमी को पूरा करना था।
  • शुरुआत में इस योजना के तहत लाभार्थी परिवार को प्रतिमाह 25 किग्रा. खाद्यान्‍न दिये जाने का प्रावधान था जिसे अप्रैल 2002 में बढ़ाकर 35 किग्रा. कर दिया गया।