गौ-रक्षा संकल्प सम्मेलन | 15 May 2023

चर्चा में क्यों? 

12 मई, 2023 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर गौ-रक्षा संकल्प सम्मेलन का शुभारंभ किया। 

प्रमुख बिंदु 

  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश के शहरी क्षेत्रों एवं सभी विकासखंड के लिये 406 पशु चिकित्सा एम्बुलेंस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।  
  • इन एम्बुलेंस में एक पशु चिकित्सक और सहायक उपलब्ध होंगे। आपात स्थिति में पशुओं के इलाज के लिये टोल फ्री नं. 1962 जारी किया गया है।  
  • विदित है कि पूर्व में बीमार पशुओं को अस्पताल तक ले जाना बड़ी समस्या होती थी। एम्बुलेंस के आने से पशु चिकित्सालय स्वयं पशुपालक के द्वार पर उपस्थित होगा।  
  • गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में गौ-वंश की हत्या पर प्रतिबंध लगाया गया है।  गौ-हत्या करने वाले को 7 साल की सजा और अवैध परिवहन पर कारावास का प्रावधान है। गौ-वंश के अवैध परिवहन में लिप्त वाहनों को राजसात किया जाएगा।  
  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को गाय पालने के लिये 900 रुपए प्रतिमाह दिये जाएंगे। इस माह 22 हज़ार किसानों को योजना की किस्त जारी की जाएगी। जनजातीय भाई-बहनों को गौ-पालन के लिये गाय खरीदने पर 90 प्रतिशत सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी।  
  • विदित है कि गाय के गोबर से सीएनजी बनाने के प्रोजेक्ट पर जबलपुर में कार्य जारी है। प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर गोवर्धन प्लांट स्थापित कर गोबर खरीदने की व्यवस्था की जाएगी, इससे सीएनजी निर्मित होगी।
  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि गौ-शालाओं में बनाए जाने वाले प्राकृतिक पेंट का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत स्तर के शासकीय भवनों में करने की नीति बनाई जाएगी। इससे गोबर और गौ-मूत्र के व्यवसाय को प्रोत्साहन मिलेगा। प्रदेश में 8 गौ-सदन और दो गौ-वंश वन्य विहार विकसित किये जाएंगे। इनके संचालन का जिम्मा गौ-सेवक संस्था को सौंपा जाएगा।  
  • गौ-शालाओं के सुचारू प्रबंधन के उद्देश्य से 4-5 ग्राम पंचायतों के लिये एक बड़ी गौशाला विकसित की जाएगी। प्राथमिक तौर पर प्रदेश में कुछ स्थानों पर मॉडल के रूप में ऐसी गौ-शालाएँ विकसित की जाएंगी। इन गौ-शालाओं की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी कोई संस्था ले सकती है और संस्था को राज्य शासन द्वारा वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।  
  • गौ-शालाओं की समस्याओं के त्वरित समाधान और उनके बेहतर प्रबंधन के लिये ज़िला स्तर पर अपर कलेक्टर स्तर के अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।