गर्भिणी-दृष्टि | 06 Feb 2025

चर्चा में क्यों?

भारत ने देश की पहली फेरेट अनुसंधान सुविधा का उद्घाटन करके, गर्भ-इनि-दृष्टि डेटा रिपोजिटरी का शुभारंभ करके तथा एक प्रमुख प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते को अंतिम रूप देकर, अत्याधुनिक जैव-चिकित्सा अनुसंधान और नवाचार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है।

मुख्य बिंदु

  • THSTI फेरेट अनुसंधान सुविधा:
    • भारत ने THSTI फेरेट अनुसंधान सुविधा का उद्घाटन किया, जो उच्चतम जैव सुरक्षा और अनुसंधान मानकों का पालन करने वाली एक अत्याधुनिक स्थापना है।
    • यह सुविधा टीकाकरण के विकास, चिकित्सीय परीक्षण और उभरते संक्रामक रोगों पर अनुसंधान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
    • यह भारत की महामारी संबंधी तैयारी रणनीति को सशक्त करता है और वैश्विक वैज्ञानिक अनुसंधान में इसकी स्थिति को बढ़ाता है।
  • गर्भ-इनि-दृष्टि:
    • गर्भ-इनि-दृष्टि (GARBH-INi-DRISHTI) THSTI में एक अग्रणी DBT डेटा रिपोजिटरी और सूचना साझाकरण केंद्र है।
    • यह प्लेटफॉर्म 12,000 से अधिक गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं और प्रसवोत्तर माताओं से नैदानिक ​​डेटा, चित्र और जैविक नमूनों की उपलब्धता प्रदान करता है।
      • दक्षिण एशिया के सबसे बड़े मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य डेटाबेस में से एक के रूप में, यह शोधकर्त्ताओं को मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिये परिवर्तनकारी अध्ययन करने में सक्षम बनाता है।
    • यह पहल भारत के अग्रणी अनुसंधान संस्थानों और अस्पतालों के बीच सहयोगात्मक प्रयास का प्रतिनिधित्व करती है, जो एक प्रबल अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देती है।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता:
    • THSTI ने अपने नवोन्मेषी माइक्रोबियल कंसोर्टियम, लैक्टोबेसिलस क्रिस्पैटस के व्यावसायीकरण के लिये मेसर्स सुंद्योटा नुमांडिस प्रोबायोस्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किये।
      • गर्भ-इनि समूह में नामांकित महिलाओं के प्रजनन पथ से पृथक किया गया यह सिंथेटिक माइक्रोबियल संघ, न्यूट्रास्युटिकल अनुप्रयोगों के लिये अपार संभावनाएँ रखता है।
    • यह समझौता लक्षित माइक्रोबायोम-आधारित हस्तक्षेपों के माध्यम द्वारा अनुसंधान को वास्तविक विश्व स्वास्थ्य समाधानों में परिवर्तित करने की सुविधा प्रदान करता है।

गर्भ-इनि (GARBH-INi)

  • गर्भ-इनि (जन्म परिणामों पर उन्नत अनुसंधान के लिये अंतःविषय समूह-DBT इंडिया पहल) की शुरुआत वर्ष 2014 में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा एक सहयोगात्मक अंतःविषय कार्यक्रम के रूप में की गई थी।
  • यह कार्यक्रम ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (THSTI), NCR बायोटेक क्लस्टर, फरीदाबाद द्वारा संचालित किया जाता है।
  • इसका उद्देश्य समय से पूर्व जन्म (PTB) के जैविक और गैर-जैविक जोखिमों को स्पष्ट करना है, ताकि महत्त्वपूर्ण ज्ञान-संचालित हस्तक्षेप और प्रौद्योगिकियों का निर्माण किया जा सके, जिन्हें इस रोग के लिये नैदानिक ​​अभ्यास और समुदाय में स्थायी रूप से क्रियान्वित किया जा सके।