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उत्तर प्रदेश

गंगा बेसिन में लागू होगा गंगा मित्रों का मॉडल

  • 07 Dec 2022
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

6 दिसंबर, 2022 को महामना मालवीय गंगाशोध केंद्र के चेयरमैन व पर्यावरण वैज्ञानिक प्रो. बीडी त्रिपाठी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में गंगा की अविरलता को धार देने के लिये गंगा मित्रों का मॉडल पूरे गंगा बेसिन में लागू किया जाएगा। इसके लिये प्रयागराज से बलिया तक 315 किलोमीटर लंबे गंगा क्षेत्र में गंगा मित्र जनता को गंगा के सरोकारों से जोड़ा जाएगा।

प्रमुख बिंदु 

  • प्रो. बीडी त्रिपाठी ने बताया कि ‘नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा’ के तहत अविरल, निर्मल, अर्थ, आध्यात्मिक एवं पारिस्थितिक गंगा से जन-जन को जोड़ने की कवायद का 10 महीने में ही सकारात्मक असर नज़र आ रहा है। महामना मालवीय गंगा शोध केंद्र बीएचयू ने इस मॉडल को पूरे गंगा बेसिन में लागू करने का प्रस्ताव भेजा है।
  • उल्लेखनीय है कि मार्च से ‘गंगा संरक्षण अभियान’ की शुरुआत हुई थी। 700 गंगा मित्र अभियान से जुड़े हैं। 90 लाख की लागत से प्रयागराज से बलिया के बीच 21 किलोमीटर के अंतराल पर गंगा जागरूकता शोध केंद्र स्थापित किये गए हैं। गंगा मित्रों ने 650 से अधिक गंगा ग्राम एवं सौ गंगा वार्ड का चयन कर 15 हज़ार जल संरक्षण समिति एवं 15 हज़ार जल संरक्षक सदस्य बनाए हैं।
  • उन्होंने बताया कि इस अभियान से आम आदमी भी जुड़ रहे हैं। गंगा किनारे रहने वालों की सोच व कार्यशैली में गंगा मित्रों के प्रयास से काफी बदलाव आया है। इस प्रोजेक्ट को नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा को भेजा गया है। इसे गंगा बेसिन के 2525 किलोमीटर के दायरे में लागू करने की योजना है। दूसरी अन्य नदियों के संरक्षण के लिये भी योजना को मूर्तरूप दिया जा सकता है।
  • इसके लिये पाँच बिंदुओं पर फोकस किया जाएगा-
    • स्वच्छ गंगा: स्वच्छ गंगा अभियान को गंगा मित्र धार दे रहे हैं। गंगा स्वच्छता के लिये आम लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
    • अविरल गंगा: अविरल गंगा के लिये गंगा मित्र लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
    • आध्यात्मिक गंगा : 75 गंगा चौपालों से 4500 महिलाओं और 150 स्कूलों के 10500 बच्चों में संस्कार डालकर नमामि गंगे से जोड़ा गया है।
    • अर्थ गंगा: 75 गंगा ग्रामों के किसानों को गंगाजल के नाम कंजपटिव उपभोग, वर्मी कंपोस्टिंग, ऑर्गेनिक फॉर्मिंग, सब्जियों एवं फलों की गंगा ब्रांडिंग तथा नवीन सिंचाई की पद्धति की तकनीक की जानकारी देकर उनकी आय में बढ़ोतरी कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।
    • पारिस्थितिक विकास: 150 स्कूल, नदियों, तालाब के किनारे, पार्कों एवं मंदिरों के आसपास पौधरोपण एवं जलीय जीवों के संरक्षण के लिये जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इको स्किल्ड तकनीकी के माध्यम से युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया है।
  • ज्ञातव्य है कि गंगा नदी गोमुख से निकलती है, जो पाँच राज्यों से होकर बंगाल की खाड़ी तक जाती है। नदी का पानी जिस क्षेत्र से होकर गुज़रता है, उसेही बेसिन कहते हैं। गंगा का बेसिन उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में है।
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